बिजनोर: उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती के क्षेत्र में 60 हजार हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल के 28.5 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 29.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती हुई है। सरकार ने गन्ना खेती के साथ साथ चीनी मिलों की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान केन्द्रित किया है। नूरपुर में एक नई गन्ना चीनी मिल स्थापित की गई है, जो पेराई सत्र 2023-24 से परिचालन शुरू कर देगी। इसके अलावा एक दर्जन मिलों की पेराई क्षमता बढ़ाई जा रही है।
अधिकारियों के अनुसार, अधिक उत्पादन के कारण चीनी बाजार में पिछले वर्षों की जो चमक थी, वह अब नहीं है, लेकिन वाहनों के ईंधन की खपत के लिए एथेनॉल का बड़े पैमाने पर उत्पादन इसकी भरपाई कर देता है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अतिरिक्त गन्ना आयुक्त वीके शुक्ला के अनुसार, बकाया के लिए बेहतर भुगतान तंत्र के कारण किसान तेजी से इस नकदी फसल की ओर रुख कर रहे है। पहले, अधिकांश मिलें गन्ने से चीनी का उत्पादन करती थीं, लेकिन अब एथेनॉल का निर्माण कर रही है। प्रदेश की कुछ मिलें गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल बना रही है।
सहारनपुर के उप गन्ना आयुक्त ओपी सिंह ने कहा, उत्तर प्रदेश देश में ‘एथेनॉल किंग’ के रूप में उभर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में एथेनॉल उत्पादन इकाइयों की संख्या में वृद्धि हुई है। यहां 100 से अधिक एथेनॉल इकाइयां है। पेराई सत्र 2022-2023 में , देश में सबसे अधिक 134 से करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया गया।मिर्ज़ापुर सहित कुछ इकाइयाँ, गन्ने के रस से एथेनॉल का उत्पादन करती है।