गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी से केवल किसानों के एक वर्ग को फायदा होगा: कृषि विशेषज्ञ

नई दिल्ली : कृषि विशेषज्ञों की राय है कि, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और किसानों के चल रहे आंदोलन के बीच गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में 8 फीसदी की बढ़ोतरी के केंद्र के फैसले से केवल किसानों के एक वर्ग को फायदा होगा। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में किसानों के एक वर्ग तक लाभ को सीमित कर देगी जहां एफआरपी लागू है।

उन्होंने कहा कि, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 10.25% की प्रारंभिक रिकवरी दर के लिए गन्ने का एफआरपी 315 रुपये से बढ़ाकर 340 रुपये कर दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के साथ, बढ़ी हुई एफआरपी से केवल उन्हीं किसानों को लाभ होगा जिनकी चीनी की रिकवरी दर सितंबर 2024 से अक्टूबर 2025 सीजन के लिए 10.25% प्रति क्विंटल है।पिछले तीन महीनों से राष्ट्रीय औसत रिकवरी दर केवल 9.79% है। आपको बता दे की, रिकवरी दर गन्ने से प्राप्त चीनी की मात्रा है।हालांकि, 315 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का न्यूनतम मूल्य है, जो 9.5% की रिकवरी पर है।

इसके अलावा, सरकार रिकवरी में प्रत्येक वृद्धि पर 10.25% की निश्चित रिकवरी दर से 0.1% अधिक होने पर किसानों को 3.32 रुपये क्विंटल का अतिरिक्त मूल्य मिलेगा, जबकि रिकवरी में 0.1% की कमी करने पर सटीक राशि काट ली जाएगी।सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में औसत रिकवरी दर लगभग 10.05% है। दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में यह 9.6% है।

इसके अलावा, कुछ राज्य जैसे उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश एफआरपी लागू नहीं करते हैं। इसके बजाय उनके पास राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपी) है। एसएपी 370 रुपये से 391 रुपये तक है, जो एफआरपी से कहीं अधिक है।एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा के अध्यक्ष वी एम सिंह ने कहा, एफआरपी में वृद्धि का यूपी, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इन राज्यों में पहले से ही अधिक एसएपी है।

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