बेंगलुरु : चीनी की बढ़ती खपत के बीच स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय घरों में मीठे की खपत के पैटर्न को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया। लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण का उद्देश्य यह पता लगाना था कि, क्या वरीयताओं में बदलाव आया है, खासकर कम चीनी वाले उत्पादों की ओर, क्योंकि चीनी का सेवन लगातार बढ़ रहा है। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के अनुसार, वार्षिक चीनी की खपत अब 29 मिलियन टन तक पहुंच गई है।
सर्वेक्षण से पता चला कि, 51% शहरी परिवार महीने में तीन या उससे अधिक बार पारंपरिक भारतीय मिठाइयों का सेवन करते हैं, जो 2023 में 41% से अधिक है। इसके अलावा, 56% उत्तरदाताओं ने बताया कि वे महीने में कम से कम तीन बार बेकरी और पैकेज्ड मीठे उत्पादों का सेवन करते हैं, जबकि 18% प्रतिदिन इनका सेवन करते हैं। सर्वेक्षण में 311 जिलों के 36,000 से अधिक परिवारों से प्रतिक्रियाएँ एकत्र की गईं। सर्वेक्षण में बताया गया कि, 55% उत्तरदाताओं को चीनी के स्तर में 25-75% की कमी पसंद आएगी। कम चीनी वाले ऐसे उत्पाद विकसित करना जो न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सकें, बल्कि उनके उत्पादों को अति-प्रसंस्कृत या उच्च वसा, चीनी या नमक (HFSS) के रूप में वर्गीकृत होने से भी बचा सकें।