नई दिल्ली : चीनी मंडी
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने, जैव ईंधन के जादा से जादा इस्तेमाल से कच्चे तेल आयात निर्भरता को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की पहल की है। इसके चलते भारत सरकार चीनी मिलों इथेनॉल उत्त्पादन बढ़ाने के लिए सस्ता लोन मुहैय्या कराने की सोच रहा है, इसके चलते इस कर्जे के ब्याज में छूट की सीमा बढाई जाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है । इससे पहले १८ जुलाई को सरकारने नोटिफिकेशन जारी करते हुए ब्याज में छूट की सीमा बढ़ाकर ८० करोड़ की है ।
प्रधान मंत्री मोदी ने, चार वर्षों में इथेनॉल उत्पादन को तीन गुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया। इसके बाद तेल आयात में खर्च होनेवाले देश के 12,000 करोड़ रुपये बच जाएंगे, इसके तहत देश में 12 जैव-रिफाइनरियों की स्थापना में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है ।
वर्ष 2017-18 में अनुमानित 141 करोड़ लीटर इथेनोल का उत्पादन किया गया, इससे तेल आयात के लिए खर्च होनेवाले करीब 4,000 करोड़ रुपये बचाए गये । चार साल में 450 करोड़ लीटर का लक्ष्य रखा गया है, इससे तेल के आयात पर खर्च होनेवाले 12,000 करोड़ रुपये बचाए जाएंगे। सरकार पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण को 2022 तक 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का है।” वर्तमान में, पेट्रोल में इथेनॉल का 3.8 प्रतिशत होता है।
सरकार २०१८-१०१९ में गन्ने से सीधे इथेनॉल बनाने पर प्रति लिटर ४७.,४९ रूपये और चीनी मिलों में मोलासिस से बनाये जाने वाले इथेनॉल के लिए प्रति लिटर ४3 .७० रूपये दर देगी । गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन और चीनी कीमतें कम होने पर चीनी मिलों के सामने आनेवाली विपरीत परिस्थिती से निपटने के लिए सरकार का इथेनॉल उत्पादन का निर्णय कारगर साबित होगा । ब्राजील में भी यही तरीका अपनाया जाता है ।
सरकार के इथेनॉल के दुहेरी कीमतों से कुछ समस्या भी खड़ी होने की आशंका जताई जा रही है, जैसे की कौनसा इथेनॉल सीधे गन्ने से और कौनसा इथेनॉल मोलासिस से बनाया है, यह इथेनॉल बाज़ार में आने के बाद तय करना मुश्किल हो सकता है ।