नई दिल्ली : चीनीमंडी
भारत द्वारा अधिशेष चीनी की समस्या को निपटने के लिए चीनी निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया द्वारा मौजूदा सब्सिडी वैश्विक कीमतों को कम रखने और उनके किसानों को नुकसान पहुंचाने के आलोचनाओं से निपटने की कोशिश की जा रही है। जिसके लिए भारत सरकार द्वारा पुख्ता प्रस्ताव बनाया जा रहा है।
प्रस्ताव से परिचित लोगों के अनुसार, सरकार माल ढुलाई और विपणन खर्चों की प्रतिपूर्ति कर सकती है। उन्होंने कहा कि, नए उपाय मौजूदा सब्सिडी के अलावा होंगे, जो मिलरों को स्थानीय परिवहन लागत और उत्पादकों को बकाया राशि देने में मददगार साबित हो सकते हैं और साथ ही विश्व व्यापार संगठन के नियमों का अनुपालन के अधीन होगा। ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और ग्वाटेमाला ने संयुक्त रूप से भारत की सब्सिडी को चुनौती देने और अपनी “व्यापार-विकृत” नीतियों के लिए देश को अधिक जवाबदेह बनाने के लिए विश्व व्यापार संगठन में एक पैनल बनाने का अनुरोध किया था, जिसे भारत द्वारा ब्लॉक कर दिया गया।
बुधवार को केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को एक बहुत बड़ी राहत दी है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने 1 अगस्त 2019 से 31 जुलाई 2020 तक एक वर्ष की अवधि के लिए 40 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इस पर 1,674 करोड़ रुपए का खर्च आने की उम्मीद है।।सरकार ने चीनी उद्योग को राहत देने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है, जिसमे सॉफ्ट लोन, निर्यात सब्सिडी और निर्यात कोटा जैसे अहम कदम शामिल है।
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