नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजारों से बढ़ती मांग ने भारत के चीनी निर्यात को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। अब तक, 59 लाख टन के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनमें से 43 लाख टन पहले ही देश से बाहर भेज दिया गया है। अगर जानकारों की माने तो भारत इस सीजन में चीनी निर्यात में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि, देश में 60 लाख टन के अपने कोटे से अधिक निर्यात करने की संभावना है, कुछ मिलें सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाए बिना चीनी का निर्यात भी कर रही हैं। नाइकनवरे ने कहा कि, निर्यात में कच्ची और सफेद चीनी का बराबर हिस्सा था। इंडोनेशिया और अफगानिस्तान जैसे दश भारतीय चीनी के बड़े आयातक रहे हैं, जबकि अफ्रीकी देश कच्ची चीनी के प्रमुख बाजारों के रूप में उभरे हैं। वर्तमान में, निर्यातित चीनी की एक्स-मिल प्राप्ति लगभग 2,900 रुपये प्रति क्विंटल है और सब्सिडी की राशि मिलों को एक अच्छा लाभ कमाने के लिए पर्याप्त है।
2020-21 चीनी सीजन की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए 3,500 करोड़ रुपये के सब्सिडी की घोषणा की थी। घरेलू बाजार में चीनी अधिशेष को कम करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया था। यह दूसरा साल होगा जब देश ने चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी घोषणा की थी, ताकि इस चीनी अधिशेष की मात्रा को कम करने में मदद मिल सके। लगातार दुसरे वर्ष में भारत ने अच्छा निर्यात किया है। पिछले साल करीब 59 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था। कोरोनावायरस संक्रमण की दूसरी लहर के बावजूद चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगातार बढ़त देखी गई है। चीनी उत्पादन में विश्व में अग्रणी ब्राजील ने अपनी गन्ना फसल के एक बड़े हिस्से को इथेनॉल के उत्पादन की ओर मोड़ दिया था, जिससे इसके चीनी उत्पादन में गिरावट आई थी। पारंपरिक रूप से ब्राजील के प्रभाव वाले कई बाजार अब अपनी चीनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की ओर रुख कर चुके हैं।