नई दिल्ली : इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (IBA) के अध्यक्ष गौरव केडिया ने ‘मनीकंट्रोल’ को बताया कि, भारत जैव ईंधन क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए जर्मनी के साथ सहयोग में तेजी लाने के लिए काम कर रहा है। केडिया ने कहा, सरकार ऐसे फीडस्टॉक को संसाधित करने के लिए जर्मनी से प्रौद्योगिकियों पर विचार कर रही है जो धान के भूसे और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जैसे कच्चे माल को संसाधित कर सके। केडिया ने कहा, कच्चा माल हमेशा एक बड़ा प्रश्नचिह्न होता है। भारत, जर्मनी की सिद्ध प्रौद्योगिकियों पर विचार कर रहा है जो धान के भूसे, नेपियर घास और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जैसे कच्चे माल को संसाधित करने में मदद कर सकती है।
भारत सरकार ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे से निपटने के लिए गैर-खाद्य फसलों या चीनी आधारित फसलों से जैव ईंधन उत्पादन के लिए देश में बुनियादी ढांचे के विकास पर विचार कर रही है। गन्ना फसलों के अलावा, उद्योग जैव ईंधन उत्पादन के लिए कृषि अपशिष्ट और अन्य ठोस अपशिष्ट जैसे फीडस्टॉक पर भी विचार कर रहा है।
आईबीए प्रमुख केडिया ने कहा कि भारत, सहयोग पर काम करते समय, धन की नहीं बल्कि बायोगैस क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों की तलाश कर रहा है जो देश के लिए अनुकूल हों और लागत को अनुकूलित करने में मदद करें। उन्होंने कहा, भारत जैव ईंधन उद्योग के लिए जर्मनी से सही तकनीक लाने में रुचि रखता है ताकि हम भारत में ऐसे उपकरणों का निर्माण शुरू कर सकें। जर्मनी के साथ बातचीत के पीछे का विचार भारतीय परिदृश्य के अनुसार लागत को अनुकूलित करना और प्रौद्योगिकियों को अद्यतन करना है।