केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि आर्थिक और व्यापार विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। श्री गोयल ने आज नई दिल्ली में 10वें सीआईआई भारत-एलएसी सम्मेलन को संबोधित करते हुए लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई (एलएसी) क्षेत्र के साथ भारत के आर्थिक संबंध के बढ़ते महत्व पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि भारत-एलएसी साझेदारी सिर्फ़ व्यापार के बारे में नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान, साझा परंपराओं और विरासत को संरक्षित करने की सामूहिक प्रतिबद्धता के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि त्योहारों के प्रति जुनून, खेल भावना और दोनों क्षेत्रों के समृद्ध इतिहास आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए एक मज़बूत आधार प्रदान करते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह सम्मेलन दोनों क्षेत्रों के बीच स्थायी आर्थिक संबंधों और लोगों के बीच गहरे संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक बेहतरीन मंच के रूप में काम करता है।
उन्होंने महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने का आह्वान किया ताकि इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिज, पर्यटन, कृषि, रत्न एवं आभूषण तथा डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके अगले पांच वर्षों में व्यापार को दोगुना किया जा सके।
श्री गोयल ने मर्कोसुर (दक्षिण अमेरिकी देशों का एक क्षेत्रीय व्यापार संगठन) के साथ अधिमान्य व्यापार समझौतों और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से व्यापार विस्तार सहित गहन सहयोग के लिए कई प्रमुख क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने अक्षय ऊर्जा में सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया, एलएसी क्षेत्र के विशाल लिथियम भंडार का उल्लेख करते हुए लिथियम प्रसंस्करण, बैटरी निर्माण और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में संयुक्त उद्यमों का प्रस्ताव दिया। उन्होंने जैव-ईंधन के क्षेत्र में भारत-ब्राजील सहयोग और इथेनॉल-संचालित वाहनों की क्षमता की ओर भी इशारा किया। कृषि और खाद्य सुरक्षा को भी साझेदारी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया जिसमें भारत और एलएसी क्षेत्र जलवायु-अनुकुल कृषि, कटाई के बाद भंडारण, कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स और मूल्यवर्धित खाद्य प्रसंस्करण में निवेश के माध्यम से एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करते हैं। श्री गोयल ने बाजार पहुंच को सुव्यवस्थित करने के लिए उन्नत शिपिंग मार्गों, प्रत्यक्ष हवाई संपर्क और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने के माध्यम से व्यापार बुनियादी ढांचे में सुधार के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने पारंपरिक उद्योगों के अलावा क्षेत्रीय जुड़ाव का विस्तार करने का आह्वान किया और साथ ही साथ फार्मास्यूटिकल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और उन्नत विनिर्माण में भी सहयोग का आग्रह किया।
श्री गोयल ने वैश्विक आर्थिक मंदी और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान को माना लेकिन इस बात पर बल दिया कि भारत एलएसी क्षेत्र के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सरकारों, व्यवसाय जगत और संस्थानों से उभरते अवसरों का लाभ उठाते हुए परिवर्तनकारी विकास की दिशा में आगे बढ़ने का आग्रह किया।
श्री गोयल ने विश्वास, सहयोग और साझा समृद्धि पर आधारित एलएसी क्षेत्र के साथ एक गतिशील और पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की।