नई दिल्ली : चीनीमंडी
भारत की चीनी सब्सिडी के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विवाद निपटान पैनल के लिए ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला के अनुरोध पर अगले सप्ताह होने वाली बैठक में विवाद निपटान निकाय (डीएसबी) द्वारा जांच की जाएगी। भारत 22 जुलाई को प्रतिद्वंद्वी देशों द्वारा उठाए जानेवाले सवालों को सिरेसे ख़ारिज कर सकता है, क्योंकि भारत का दावा है कि, उनके द्वारा नियमों का उल्लंघन बिल्कुल नहीं किया है।
ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील ने मार्च में अपने अनुरोधों में कहा था कि, भारत में चीनी उत्पादकों को अधिकांश सब्सिडी ने डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन किया है।
ब्राजील ने भारत के बारे में शिकायत की थी कि, 2010-11 में गन्ने का उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) 1391.2 प्रति टन से बढ़ाकर 2018-19 में प्रति टन एफआरपी 2,750 प्रति टन की गई है। केंद्र सरकार ने 2018-19 में मिलों को 50 लाख टन चीनी निर्यात करने का आदेश दिया है, जिससे विश्व बाजार की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। ग्वाटेमाला ने भी अपनी शिकायत में दावा किया था कि, भारत में चीनी उद्योग के लिए घरेलू समर्थन उपाय ‘डब्ल्यूटीओ’ के ‘एओए’ के तहत दायित्वों से असंगत हैं।
पैनल के अनुरोध को विरोध करने के अपने तर्क में, भारत की यह कहने की संभावना है कि चीनी उत्पादकों को दी जाने वाली अधिकांश अनुदान उत्पादन सब्सिडी के रूप में थी, जो विश्व व्यापार संगठन के तहत थीं। इसके अलावा, निर्यात के लिए दिए जानेवाली सब्सिडी परिवहन और विपणन उद्देश्यों के लिए थी, जिन्हें डब्ल्यूटीओ द्वारा भी अनुमति दी गई थी।
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