नई दिल्ली: द हिन्दू बिजनेस लाइन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अगले सीजन में चीनी उत्पादन में संभावित गिरावट के चलते एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रमुख फीडस्टॉक मोलासिस (molasses) की उपलब्धता कम होने की संभावना है। इसके चलते भारत सरकार मोलासिस के निर्यात पर अंकुश लगाने और इसे घरेलू डिस्टलरी के लिए उपलब्ध कराने के लिए निर्यात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने पर विचार कर रही है। नीदरलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, दक्षिण कोरिया और इटली जैसे देश भारतीय मोलासिस के शीर्ष पांच गंतव्य है, जिनका उपयोग पशु चारा निर्माण के लिए किया जाता है।
हालांकि, निर्यात पर शुल्क लगाने का प्रस्ताव काफी समय से चर्चा में है, लेकिन समझा जाता है कि वित्त मंत्रालय को अब इसके महत्व का एहसास हो गया है और वह जल्द ही इसे अधिसूचित कर सकता है।
केंद्र सरकार ने अभी तक अगले सीज़न (अक्टूबर-सितंबर) के लिए चीनी उत्पादन का अनुमान जारी नहीं किया है, जबकि ISMA ने 31.68 मिलियन टन का अनुमान लगाया है, जो चालू 2022-23 सीजन में अनुमानित 32.8 मिलियन टन से कम है।
वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष बी.बी. थोम्बरे ने कहा, अगर सरकार मोलासिस के निर्यात को प्रतिबंधित करने का निर्णय लेती है, तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा। चीनी उत्पादन कम होने की आशंका पहले से ही जताई जा रही है, क्योंकि अगस्त में शुष्क मौसम के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की फसल प्रभावित हुई है। महाराष्ट्र में जिन चीनी मिलों ने एथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलरी स्थापित करने में निवेश किया है, उन्हें डर है कि वे अपनी क्षमताओं का 80 प्रतिशत भी उपयोग नहीं कर पाएंगे।