भारत चीनी निर्यात बाजार में बना रहेगा और जिसका असर देश के चीनी उद्योग को होगा।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को दुबई शुगर कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन के दौरान खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के संयुक्त सचिव अश्विनी श्रीवास्तव ने कहा की सभी संकेत यही हैं कि अगले साल हमारे पास गन्ने की बंपर फसल होगी। हम निर्यात बाजार में बने रहेंगे।
हाल ही में, चीनी मिलों पर वित्तीय दबाव को कम करने के तहत, सरकार ने 10 लाख मीट्रिक टन (LMT) चीनी के निर्यात को मंजूरी दी।
निर्यात के इस फैसले से भारत में चीनी उद्योग को बहुत ज़रूरी बढ़ावा मिला है। ISMA (इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन) के अनुसार, निर्यात छूट से चीनी भंडार को संतुलित करने में मदद मिली है और चीनी मिलों को वित्तीय स्थिरता मिली है, जिससे वे समय पर गन्ना भुगतान कर पा रही हैं।
सम्मेलन के दौरान भारत के निर्यात प्रदर्शन पर बोलते हुए अल खलीज शुगर के प्रबंध निदेशक जमाल अल-घुरैर ने कहा कि निर्यातक के रूप में वैश्विक बाजार में भारत की वापसी से मध्य पूर्व में चीनी की कीमतों पर असर पड़ रहा है।