नई दिल्ली : BPCL के बाद अब देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने भी डीजल में 5 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण के लिए कमर कस ली है।आपको बता दे की, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और अशोक लेलैंड ने ED7 (7% एथेनॉल के साथ डीजल समिश्रण) ईंधन की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। BPCL-R&D द्वारा विकसित ED7 ईंधन मिश्रण में 93% डीजल और 7% एथेनॉल शामिल है।
द इकोनॉमिक टाइम्स में पीटीआई के हवाले से छपी खबर के मुताबिक, इंडियन ऑयल और दो घरेलू इंजन निर्माता डीजल में 5 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण पर काम कर रहे हैं।इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के निदेशक (आर एंड डी) एसएसवी रामकुमार ने कहा कि, इसकी प्रयोगशाला और दो इंजन निर्माताओं के अनुसंधान एवं विकास केंद्रों में प्रायोगिक कार्य चल रहा है।ऑटोमोबाइल उद्योग निकाय सियाम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, दो प्रमुख भारतीय डीजल इंजन निर्माता, इंडियन ऑयल और अन्य तेल विपणन कंपनियों में से एक डीजल में 5 प्रतिशत एथेनॉल के सम्मिश्रण पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि, मुख्य आशंकाओं में से एक यह है कि सम्मिश्रण में ईंधन इंजेक्टरों के साथ कुछ समस्याएँ हो सकती हैं।रामकुमार ने कहा, इसलिए, हम उत्सुकता से प्रयोग कर रहे हैं और इस एथेनॉल सम्मिश्रण के प्रभावों को देख रहे हैं। मुझे लगता है कि अगले छह महीनों में, इसके कुछ अच्छे नतीजे निकलकर सामने आयेंगें।
रामकुमार ने कहा, हमें एथेनॉल को बड़ी मात्रा को इकट्ठा करने की आवश्यकता है, जो कि 10 प्रतिशत सम्मिश्रण से 20 प्रतिशत सम्मिश्रण के लिए आवश्यक है।2025 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण के लिए 1,000 करोड़ लीटर एथेनॉल की आवश्यकता होगी।इसलिए, तेल उद्योग ज़ोरदार और सख्ती से एक लक्ष्य के साथ एथेनॉल उत्पादन के वैकल्पिक स्रोतों का पीछा कर रहा है।रामकुमार ने कहा कि, एथेनॉल विशेष रूप से गन्ने के शीरे से प्राप्त किया जाता है, जबकि दूसरी पीढ़ी के एथेनॉल को कृषि अवशेषों जैसे गेहूं के भूसे, धान के भूसे, कपास के भूसे या किसी अन्य कृषि अवशेष से प्राप्त किया जाता है।उन्होंने कहा कि पानीपत रिफाइनरी में दूसरी पीढ़ी के एथेनॉल संयंत्र को सफलतापूर्वक चालू कर दिया गया है।