मुंबई : नया गन्ना पेराई सीजन शुरू होने वाला है और भारतीय चीनी उद्योग Covid -19 के दबाव का सामना करने के लिए कमर कस रहा है। बंपर चीनी उत्पादन के अनुमान के चलते वैश्विक चीनी बाजार की स्थिति कैसी होगी? इस पर चीनी उद्योग के दिग्गजों की भी नजर है। ‘चीनीमंडी’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, डालमिया भारत शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक और सीईओ बी. बी. मेहता ने भारतीय चीनी उद्योग के विभिन्न पहलुओं और आगामी सीजन 2020-2021 पर अपने विचार साझा किए।
डालमिया भारत शुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड और भारतीय चीनी उद्योग के लिए वर्तमान में चीनी सीजन कैसा है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि, चीनी सीजन 2019-20 डालमिया भारत शुगर और भारतीय चीनी उद्योग के लिए काफी अच्छा रहा है। इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के लिए लगभग 7.5 लाख MT चीनी के डायवर्जन के बाद 27.2 MMT चीनी उत्पादन, औए लगभग 5.8 MMT के निर्यात से चीनी स्टॉक स्तर लगभग 10.5 MMT टन हो जाएगा जो प्रबंधनीय सीमा के भीतर है। डिस्टलरी प्लांट स्थापित करने के लिए निर्यात प्रोत्साहन और ब्याज सहूलियत जैसी अनुकूल सरकारी नीतियों के कारण यह संभव हुआ है।
उन्होंने कहा की, सीजन के दौरान हमारा चीनी उत्पादन 5.63 LMT रहा। राज्य सरकारों के समर्थन और मदद से, हम अपने पेराई सत्र को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम रहें है। न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) के मद्देनजर चीनी की कीमतें काफी अच्छी रही हैं। हमारी कंपनी ने वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2020-2021 की पहली तिमाही के लिए उद्योग में सर्वश्रेष्ठ वित्तीय परिणामों में से एक दिखाया है।
एक मिलर के रूप चीनी निर्यात नीति पर सरकार से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं। चीनी उद्योग में आत्मनिर्भरता के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता है? यह पूछे जाने पर श्री. मेहता ने जवाब दिया की, “हम उम्मीद करते हैं कि सरकार 2020-21 सीजन के लिए इसी तरह की निर्यात नीति के साथ सामने आएगी। उद्योग ने चीनी के एमएसपी में वृद्धि, बफर स्टॉक के रखरखाव और इथेनॉल की कीमतों में वृद्धि का भी अनुरोध किया है ताकि उद्योग में आत्मनिर्भरता हो।
इसके अलावा, उद्योग नीचे दिए गए कुछ दीर्घकालिक उपायों की भी उम्मीद कर रहा है:
(a) राजस्व साझा करने का फार्मूला और मूल्य स्थिरीकरण कोष का निर्माण।
(b) बी हेवी और जूस रूट के माध्यम से इथेनॉल को चीनी डायवर्जन को बढ़ावा देना और दीर्घकालिक इथेनॉल मूल्य निर्धारण फॉर्मूला घोषित करना जारी रखें।
(c) गन्ना परिवहन के लिए परिवहन छूट में वृद्धि।
(d) उच्च रिकवरी के प्रीमियम को मिलों और किसानों के मिल और किसानों के साथ साझा करना।
(e) किस्तों में गन्ना मूल्य भुगतान।
चीनी उद्योग भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने में क्या भूमिका निभा सकता है, इस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा की, जहां तक चीनी उद्योग का संबंध है, हमारा देश चीनी के उत्पादन में पहले से ही आत्मनिर्भर है और हम भविष्य में भी चीनी आयात की उम्मीद नहीं करते हैं। देश में चीनी की कीमतें उचित और उपभोक्ता अनुकूल हैं। इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम पर जोर देने के साथ, देश पर्याप्त विदेशी मुद्रा को बचाने और अपनी ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम होगा। कच्चे तेल के आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी, अगर हम आने वाले वर्षों में अपने इथेनॉल समिश्रण को 20 प्रतिशत तक बढ़ा दें।
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2019-2020 का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है तो फयदा मिलों को ही हुआ है चीनी का निर्यात भी अछा किया और किसानों का भुगतान भी नहीं देना पडा़…