चीनी उद्योग कोरोना संकट के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। लॉकडाउन के कारण चीनी बिक्री ठप हो जाने से चीनी मिलों के सामने राजस्व की समस्या पैदा हुई है। ऐसे समय में उद्योग सरकार से राहत की उम्मीद कर रहा है ताकि वे वापस से उठ सके और अगले सीजन में अपना परिचालन सामान्य तरीके से कर पाए। उद्योग ने सरकार से चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) बढ़ाने की भी मांग की है ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। फिलहाल अब तक केंद्र सरकार के तरफ से चीनी की MSP बढ़ाने को लेकर कोई फेसला नहीं आया है।
आपको बता दे चीनी उद्योग के लिए गठित निति आयोग की टास्क फोर्स ने भी चीनी की MSP 31 रूपये से 33 रूपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने की सिफारिश की थी। जिससे मिलों को गन्ना भुगतान करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार चालू पेराई सीजन 2018-19 में 28 मई तक गन्ना भुगतान 22,970 रूपये (FRP और SAP मिला के) बाकी है। वही वर्त्तमान पेराई सीजन में 28 मई तक तक 17,134 FRP के तर्ज पर बाकी है जबकि 21,238 SAP के तर्ज पर बाकी है।
हालही में, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने भी कोरोनो वायरस महामारी के मद्देनजर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था की, आर्थिक तरलता की समस्या से परेशान चीनी उद्योग के लिए सरकार द्वारा जल्द से जल्द विशेष सहायता पैकेज देने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा था की, चीनी संगठनों द्वारा चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में ग्रेड के अनुसार प्रति क्विंटल 3450 से लेकर 3750 की वृद्धि सुझाए गए है, सरकार को इसपर भी ध्यान देने की जरुरत है।
कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के चलते इस साल के चीनी पेराई सत्र में बाधा आई, जिससे पहले से ही त्रस्त चीनी उद्योग को और गहरे संकट में धकेल दिया है। अगर चीनी MSP में बढ़ोतरी हो जाती है तो उद्योग को एक बड़ी राहत मिलेगी।
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