मुंबई : पहले अतिरिक्त उत्पादन और अधिशेष चीनी की समस्या लड रहे चीनी उद्योग के सामने कोरोना वायरस महामारी ने नया संकट पैदा किया है। हाल ही में केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने सुझाव दिया कि, चीनी मिलों को अधिशेष उत्पादन और चीनी की अतिरिक्त उपलब्धता को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्ट करना चाहिए। अधिशेष चीनी उत्पादन के परिणामस्वरूप चीनी की ‘एक्स मिल’ कीमतों पर लगातार दबाव दिख रहा है।
चीनीमंडी न्यूज़ के साथ बातचीत में, द शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री संजय अवस्थी ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, कोरोनो वायरस महामारी ने वैश्विक व्यवसायों और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। चीनी उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा है और निकट भविष्य में और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पिछले दो महीनों से जब लॉकडाउन था, तब से पूरे भारत में चीनी मिलें आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत काम कर रही थीं। इस अवधि के दौरान, मिलों से चीनी / इथेनॉल का कोई लेनदेन नहीं हुआ और इस तरह मिलों को भारी मात्रा में अधिशेष का सामना करना पडा और उनका नकदी प्रवाह बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसके कारण अंततः भारी गन्ना बकाया हुआ।
उन्होंने कहा की, गन्ने के अतिरिक्त उत्पादन को इथेनॉल उत्पादन में बदलने के लिए भारत सरकार के विचारों का पूरी तरह समर्थन करता हूं, क्योंकि यह वर्तमान परिदृश्य के साथ-साथ भविष्य में भी एकमात्र रास्ता है। इससे न केवल बाजार से अतिरिक्त चीनी की कमी होगी, बल्कि मिलों की तरलता में भी सुधार होगा। भारत के बायोफ्यूल कार्यक्रम की सफलता हमारी आसवनी की तेज उत्पादन क्षमताओं पर निर्भर करेगी। बायोफ्यूल कार्यक्रम के तहत हमे अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है और वर्ष 2022 तक 10% सम्मिश्रण प्राप्त करना है। अभी तक हम सरकार द्वारा निर्धारित 9 बिलियन लीटर के लक्ष्य के मुकाबले 2019-20 में केवल 3.55 बिलियन लीटर इथेनॉल का उत्पादन कर पाए हैं।
उन्होंने आगे यह भी कहा की, इस साल हम ब्राजील का इथेनॉल से चीनी उत्पादन की तरफ बढता झुकाव देख सकते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण, इथेनॉल का उत्पादन ब्राजील के लिए व्यवहार्य नहीं है। ब्राजील द्वारा चीनी उत्पादन में बढोतरी होने से अंततः विश्वस्तर पर भारी मात्रा में अधिशेष चीनी उत्पादन हो सकता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमतों पर असर पड़ सकता है। चीनी का निर्यात भी अगले साल हमारे लिए एक बड़ी चुनौती होगी। ब्राजील के चीनी उद्योग की विशेषता यह है कि वह बडी आसानी से चीनी से इथेनॉल उत्पादन में स्विच कर सकते हैं। हमें भी ब्राजीलियाई मॉडल अपनाना चाहिए।
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