नई दिल्ली : चीनी मंडी
तेल की कीमतों में गिरावट के साथ साथ कोरोनोवायरस महामारी से चीनी उद्योग पर भी असर पडा है। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का चीनी उत्पादन प्रभावित नहीं होगा, लेकिन खपत में गिरावट आने की संभावना है। ऐसी चिंताजनक स्थिति में चीनी स्टॉक, किसानों का भुगतान बकाया, बैंक लोन आदि समस्याओं का डर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। चीनी उद्योग निकाय मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। ऐसी स्थिति निपटने के लिए चीनी उद्योग द्वारा कई सारे विकल्पों पर विचारविमर्श चल रहा है।
चीनीमंडी के साथ बातचीत में, महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खताल ने वर्तमान परिदृश्य पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, व्यापार में ठहराव आ जाने के कारण, उद्योग पर असर हुआ है। कोरोनोवायरस महामारी के कारण सभी उद्योगों को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। हमने पहले ही भारत सरकार से अनुरोध किया है कि, वह चीनी निर्यात के समय सीमा की तारीख को वापस ले और चीनी निर्यात को समयसीमा मुक्त कर दें। या मिल अनुसार MIEQ का 30 सितंबर 2020 तक विस्तार करें जिसे हाल ही में 14 मार्च 2020 तक बढ़ाया गया था।
उन्होंने कहा चुकी स्थिति बहुत गंभीर है इसलिए व्यपारी और निर्यातक चीनी का व्यापर करने के लिए अनिच्छुक हैं, जिसके कारण चीनी मिलर्स घबराये हुए है। इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार चीनी निर्यात के लिए 30 सितंबर की वार्षिक समय सीमा को छोड़कर किसी भी समय सीमा को लागू न करे, जिससे उम्मीद है कि स्थिति सामान्य हो जाएगी और व्यापारी व्यापर के लिए भी तैयार हो जाएंगे।
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