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नई दिल्ली: चीनी मंडी
चीनी उद्योग और सरकार के सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि, रिकॉर्ड चीनी उत्पादन ने घरेलू कीमतों को प्रभावित किया है, और देशभर की चीनी मिलों के पास तकरीबन 5 करोड़ गन्ना किसानों का 30,335 करोड़ रुपये बकाया है। मिलों की वित्तीय सेहत को इस हद तक प्रभावित किया है कि, कई मिले गन्ना बकाया और कर्मचारियों की तनख्वाह देने में भी विफ़ल रही है।
किसान नेताओं का कहना है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं। मोदी के कार्यालय ने टिप्पणी मांगने वाले ईमेल का भी जवाब नहीं दिया। राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय मंच के संयोजक एम.वी.सिंह ने कहा की, प्रधानमंत्री ने 2014 और 2017 में उपज बेचने के 15 दिनों के भीतर भुगतान प्राप्त करने में मदद करने का सार्वजनिक रूप से किसानों से वादा किया था। वादे के बावजूद, मोदी सरकार ने समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बहुत कम प्रयास किया है।
गन्ना बकाया उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में उत्पादकों को प्रभावित कर रहा हैं। उत्तर प्रदेश में मवाना शुगर्स लिमिटेड, बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड और सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड, साथ ही साथ मोदी शुगर मिल्स, वेव इंडस्ट्रीज और यदु शुगर लिमिटेड जैसे शीर्ष उत्पादकों के पास काफी बकाया है। भारतीय चीनी मिलों के प्रमुख अविनाश वर्मा ने कहा की, इस तथ्य के साथ कि चीनी की कीमतें उत्पादन की लागत से बहुत नीचे हैं, मिलों की भुगतान क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
अतिरिक्त उत्पादन घरेलू चीनी की कीमतों को दबाए रखते हैं और भंडारण लागत में वृद्धि करते हैं। अधिशेष चीनी की समस्या से निपटते निपटते मिले वित्तीय संकट में फंसती जा रही है और उनको किसानों को भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। पिछले दो वर्षों में गन्ने की बम्पर फसल के कारण घरेलू चीनी की कीमतें 20 प्रतिशत तक गिर गईं है। जिसका सीधा असर मिलों की आर्थिक स्थिती पर पड़ा है।
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा, ज्यादातर गन्ना उत्पादक किसान मुश्किल से अपना गुजारा कर रहे हैं और न ही राज्य सरकारों और न ही मोदी प्रशासन उनकी मदद के लिए आगे आया है। किसान की कम हो रही आय और नौकरी की कमी ने मोदी की चुनावी यात्रा को अधिक जटिल बना दिया है।क्योंकि, लोकसभा की कुल 545 सीटों में से, 164 निर्वाचन क्षेत्रों में गन्ना किसान प्रमुख मतदाता हैं। केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि, सरकार अधिशेष समस्या से लड़ रही चीनी मिलों की सहायता के लिए हर मुमकिन कोशिश की है, जिससे किसानों या मिलों को थोड़ी राहत मिली है।
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