यह न्यूज़ सुनने के लिए इमेज के निचे के बटन को दबाये
नई दिल्ली : चीनी मंडी
जिस तरह क्रिकेट के खेल में डेथ ओवरों में गेंद स्विंग करने लगती है, उसी तरह भारतीय चीनी उत्पादन की कहानी है। हम चीनी सीजन के अंत के काफी करीब हैं, और चीनी उत्पादन का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। ‘इस्मा’ ने अपने पहले अनुमान में 35 मिलियन मेट्रिक टन उत्पादन के साथ शुरुआत की और फिर महाराष्ट्र के कई हिस्से में सुखा और यूपी में भारी बारिश के साथ, ‘इस्मा’ने अनुमान 30.7 मिलियन मेट्रिक टन तक कम घटाया था। लेकिन, अब ‘इस्मा’के अनुमान के परे चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही हैं और भारत पिछले साल के 32.47 मिलियन मेट्रिक टन के रिकॉर्ड को पीछें छोड़कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
महाराष्ट्र के कुछ प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में सूखे के चलते बाज़ार के जानकर उत्साहित हो गए थे और फसल की शुरुआत में राज्य में 8-8.5 मिलियन मेट्रिक टन तक के कम उत्पादन की बात करने लगे। आश्चर्य तो तब हुआ, जब यह संख्या 15 फरवरी 2019 के पखवाड़े तक ही प्राप्त की गई, और 12 मार्च तक, राज्य के 75 मिलों द्वारा चीनी उत्पादन ने 9.9 मिलियन मेट्रिक टन का आंकड़ा छुआ है। यहां तक कि अगर हम एक और महीने के लिए 50% उत्पादन भी लेते हैं, तो हम पिछले साल के 10.7 मिलियन मेट्रिक टन के रिकॉर्ड को पछाड़कर 10.8 लाख मेट्रिक टन चीनी उत्पादन के करीब पहुंच सकते है।वर्तमान मौसम में राज्य के लिए उत्पादन की सीमा इस प्रकार 10.5-11 मिलियन मेट्रिक टन है।
देश के सर्वोच्च गन्ना उत्पादक राज्य, उत्तर प्रदेश ने लगातार तीसरे साल सभी को आश्चर्यचकित किया है, खासकर रिकवरी के मामले में। राज्य में चीनी का उत्पादन पिछले साल की संख्या से पिछड़ गया था, लेकिन हाल ही में, उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में आगे निकल गया है और 12 मिलियन मेट्रिक टन के रिकॉर्ड की ओर बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक कर्नाटक भी इस साल फसल के तहत अधिक क्षेत्र के साथ अधिक चीनी का उत्पादन करने के लिए तैयार है। कर्नाटक की 72 मिलों में से 34 मिलें बंद होने के साथ 28 फरवरी तक 4.2 मिलियन मेट्रिक टन उत्पादन हुआ। राज्य में एक विशेष मौसम भी होता है, जो वर्ष के उत्तरार्ध में उत्पादन में जोड़ देगा, इस प्रकार राज्य में वर्तमान मौसम के दौरान 4.5-4.8 मिलियन मेट्रिक टन के बीच उत्पादन होने की संभावना है।
तमिलनाडु चालू सीजन के लिए कटाई के तहत उच्च क्षेत्र के साथ पिछले साल की तुलना में अधिक चीनी जोड़ देगा, इस प्रकार हमारे पास 18-19 में रिकॉर्ड चीनी मौजूद है। उपरोक्त अनुमानों के साथ, देशभर में चीनी उत्पादन करीबन 33.2 से 34.0 मिलियन मेट्रिक टन होने की उम्मीद है। भारत के लिए चीनी बैलेंस शीट की निगरानी की जाएगी और स्टॉक और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए घरेलू खपत के साथ एक अतिरिक्त बहिर्वाह की आवश्यकता होगी। चालू सीज़न में उत्पादन के उच्च आधार के साथ, अगले वर्ष के लिए कमी का दायरा भी छोटा हो जाता है, जिसका मतलब है कि अगर हमारे पास स्काईमेट द्वारा सामान्य पूर्वानुमान के अनुसार सामान्य मानसून है, तो चीनी सरप्लस हो सकती है।
चीनी अधिशेष की समस्या को देखते हुए के इथेनॉल और निर्यात को बढ़ावा दिया जायेगा, और अगले सत्र में भी उच्च अधिकारियों के दरवाजे खटखटाए जाएंगे ताकी उद्योग के चीनी के ढेरों से बच सके।
डाउनलोड करे चीनीमंडी न्यूज ऐप: http://bit.ly/ChiniMandiApp