मुंबई: ब्राजील में ठंड और सूखे का असर अब देखने को मिल रहा है, इसका लाभ भारत को भी मिलता हुआ दिखता नजर आ रहा है।
रायटर्स में छपी खबर के मुताबिक, भारतीय व्यापारियों ने पहली बार शिपमेंट से पांच महीने पहले चीनी निर्यात अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। शीत लहर के चलते ब्राजील के उत्पादन में संभावित गिरावट ने चीनी खरीदारों को भारत से अग्रिम रूप से आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए प्रेरित किया है।
दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक ब्राजील में चीनी का उत्पादन पहले सूखे और अब ठंड के कारण गिरने की संभावना है। ब्राजील में सुखा और ठंड ने गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाया है। व्यापारियों ने कहा कि, संभावित गिरावट ने पहले ही चीनी की कीमतों को 3 साल में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है और यह खरीदारों को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक भारत से अग्रिम आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए प्रेरित कर रहा है। अब तक व्यापारियों ने दिसंबर और जनवरी में शिपमेंट के लिए 500,000 टन कच्ची चीनी को फ्री-ऑन-बोर्ड (एफओबी) आधार पर 435 डॉलर और 440 डॉलर प्रति टन के बीच अनुबंधित किया है।
आपको बता दे, भारतीय व्यापारी आमतौर पर एक या दो महीने पहले अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हैं और सरकार द्वारा विदेशी बिक्री के लिए निर्यात सब्सिडी की घोषणा के बाद ही निर्यात करते है। हालांकि, वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी ने हाल के दिनों में बिना सरकारी प्रोत्साहन के चीनी निर्यात को व्यवहार्य बना दिया है।
इस सीजन चीनी मिलों ने निर्यात के मामलें में अच्छा प्रदर्शन किया है और रिकॉर्ड निर्यात होने का भी अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी कीमतों से चीनी मिलों को फायदा हुआ है। सितंबर के अंत तक लगभग 70 लाख टन निर्यात की उम्मीद है, और यह अब तक की रिकॉर्ड निर्यात होगा।
आपको बता दे, भारत ने सीजन 2020/21 के मद्देनजर चीनी मिलों को 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए सब्सिडी को मंजूरी दी थी। हालही में केंद्र सरकार द्वारा चीनी निर्यात सहायता को 6000/MT से घटाकर 4000/MT कर दिया गया था।
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