नई दिल्ली: चीनी अधिशेष और गन्ना बकाया भुगतान को कम करने के लिए सरकार ने चीनी निर्यात सब्सिडी की घोसणा तो कर दी है लेकिन फ़िलहाल कंटेनरों की कमी से भारत की चीनी निर्यात प्रभावित दिखती हुई नजर आ रही है।
ब्लूमबर्ग क्विंट डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, चीनी उद्योग से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, विदेशी मांग मजबूत होने के बावजूद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक भारत में कंटेनरों की कमी से चीनी निर्यात सिमित मात्रा में हो रही है। देश के शीर्ष चीनी रिफाइनर श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के अध्यक्ष रवि गुप्ता ने कहा की, भारत द्वारा जनवरी 2020 में लगभग 370,000 टन चीनी निर्यात की तुलना में जनवरी 2021 में केवल 70,000 टन सफेद चीनी की निर्यात हुई है। शिपिंग की दरों में वैश्विक स्तर पर वृद्धि हुई है, 2020 की दूसरी छमाही में माल की मांग अधिक मजबूती से बढ़ी है जिसके कारण कंटेनर की कमी है। चीन के साथ जिओ पोलिटिकल टेंशन के कारण भारत में आयात में कम हो गई है, जिसका अर्थ है आने वाले कंटेनर भी कम हुए है।
गुप्ता ने कहा, यह कमी कम गुणवत्ता वाली सफेद चीनी के निर्यात को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि, अफगानिस्तान, श्रीलंका और पूर्वी अफ्रीका जैसे स्थानों से अच्छी मांग है, लेकिन कंटेनरों की कम उपलब्धता के कारण भारत से आवाजाही बहुत धीमी है।