नई दिल्ली : कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई मामूली रूप से कम होकर 69.97 लाख हेक्टेयर है। 2022 में इसी अवधि के दौरान यह 71.90 लाख हेक्टेयर पर था। मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि, दलहन और मोटे अनाज का बुवाई क्षेत्र साल-दर-साल अधिक है, जबकि चावल और तिलहन का रकबा कम है। दालों और मोटे अनाजों की बात करें तो रकबा 19.09 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 19.81 लाख हेक्टेयर और 11.54 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 11.93 लाख हेक्टेयर हो गया है।
चावल और तिलहन का क्षेत्र 30.28 लाख हेक्टेयर से घटकर 28.07 लाख हेक्टेयर और 11.02 लाख हेक्टेयर से घटकर 10.17 लाख हेक्टेयर रह गए। हरा चना, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, मूंगफली, सूरजमुखी, और तिल कुछ प्रमुख ग्रीष्मकालीन फसलें हैं। भारत में तीन फसली मौसम होते हैं, ग्रीष्म, खरीफ और रबी।अक्टूबर और नवंबर के दौरान बोई जाने वाली फसलें और परिपक्वता के आधार पर जनवरी-मार्च में काटी जाने वाली फसल रबी है। जून-जुलाई में बोई जाने वाली और अक्टूबर-नवंबर में काटी जाने वाली फसलें खरीफ होती हैं। रबी और खरीफ के बीच उत्पादित फसलें ग्रीष्मकालीन फसलें हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2023-24 के लिए खाद्यान्न के रिकॉर्ड 3,320 लाख टन (332 मिलियन टन) उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले वर्ष 3,235 लाख टन उत्पादन का नवीनतम अनुमान था। दलहन उत्पादन का लक्ष्य इस वर्ष के 278.1 लाख टन की तुलना में 292.5 लाख टन निर्धारित किया गया है और 2023-24 में तिलहन उत्पादन को 400 लाख टन से बढ़ाकर 440 लाख टन किया जाएगा।बाजरा उत्पादन का लक्ष्य 2022-23 में 159.1 लाख टन से 2023-24 के लिए 170 लाख टन निर्धारित किया गया है।