नई दिल्ली: खबरों के मुताबिक, इंडोनेशिया ने भारत से चावल और चीनी खरीदने का फैसला किया है, यह एक ऐसा कदम माना जा रहा है, जिससे जो दोनों पक्षों के बीच व्यापार घाटे को कम करने और 2025 तक व्यापार की मात्रा को 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
इससे पहले इंडोनेशिया ने भारत से अनुरोध किया था की रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क उतना ही लगना चाहिए जितना शुल्क मलेशिया के रिफाइंड पाम तेल पर लगाया जा रहा है। इंडोनेशिया के व्यापार मंत्रालय ने इसके बदले में भारतीय चीनी के आयात की अनुमति देने का ऑफर दिया था।
16 सितंबर को भारत के दूतावास ने इंडोनेशिया सरकार के व्यापार मंत्रालय के साथ मिलकर भारत से इंडोनेशिया तक चावल और चीनी के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक मल्टी प्रोडक्ट रोड शो की मेजबानी की। सत्र के दौरान, भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने दोनों देशों से चीनी और चावल जैसी केंद्रित वस्तुओं के व्यापार पर जोर देने को कहा।
देश चीनी अधिशेष से जूझ रहा है और इसलिए सरकार का मकसद चीनी निर्यात को बढ़ावा देना है। इसके चलते केंद्र सरकार ने 28 अगस्त को 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया था। इसपर 6268 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। कैबिनेट ने चीनी सीजन 2019-20 के लिए चीनी मिलों को निर्यात करने के लिए 10,448 रुपए प्रति टन के हिसाब से सब्सिडी देने को मंजूरी दी थी। इंडोनेशिया के लिए शिपमेंट से भारत में चीनी की कमी को कम करने में मदद मिलेगी।
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