नई दिल्ली : इंडस टावर्स (Indus Towers) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के सहयोग से आईआईटी मद्रास परिसर में ग्रीन हाइड्रोजन और बैटरी प्रबंधन प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रयोगशालाएं शुरू की है। इसका उद्देश्य लोड को बिजली देने के लिए ईंधन कोशिकाओं का उपयोग करके सौर ऊर्जा से संचालित हाइड्रोजन उत्पादन प्रणाली बनाना है। आईआईटी मद्रास ने कहा कि, ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रोग्रिड मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों, क्षारीय/पीईएम इलेक्ट्रोलाइजर और पीईएम ईंधन कोशिकाओं के माध्यम से 100 प्रतिशत हरित हाइड्रोजन उत्पादन का प्रदर्शन करता है।
समानांतर में, बैटरी इंजीनियरिंग लैब का बैटरी प्रबंधन प्रणाली (BMS) का विकास विभिन्न अनुप्रयोगों में सुरक्षित और विश्वसनीय बैटरी प्रदर्शन सुनिश्चित करता है।यह परियोजना उद्योगों में रिचार्जेबल ली-आयन बैटरियों के व्यापक उपयोग को पूरा करते हुए, बैटरी पैक, जीवनकाल की भविष्यवाणी और प्रभावी थर्मल नियंत्रण के लिए सटीक स्थिति अनुमान को दर्शाती है।
इंडस टावर्स के मुख्य नियामक अधिकारी और सीएसआर, मनोज कुमार सिंह ने कहा, इंडस टावर्स की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी जीवाश्म ईंधन पर नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण अनुपात को अधिकतम करने पर केंद्रित है।हम अपने प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम – प्रगति के तहत ऊर्जा के नए स्रोतों की दिशा में अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।हम आज आईआईटीएम के साथ अपने सीएसआर जुड़ाव के तहत ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रो ग्रिड और बैटरी इंजीनियरिंग लैब के उद्घाटन को लेकर बहुत उत्साहित है।मुझे विश्वास है कि यह ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में भारत की यात्रा में अग्रणी साबित होगा।
आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्रों और कॉर्पोरेट संबंधों के डीन प्रोफेसर महेश पंचाग्नूला ने कहा, आईआईटी मद्रास की ये अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं अधिक टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करती हैं। मैं ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रोग्रिड लैब और बैटरी इंजीनियरिंग रिसर्च लैब स्थापित करने के लिए आईआईटीएम का समर्थन करने के लिए इंडस टावर्स लिमिटेड का आभारी हूं।