पश्चिमी महाराष्ट्र में गन्ना फसल पर कीट का प्रकोप

पुणे / कोल्हापुर / सांगली : चीनी मंडी

पश्चिमी महाराष्ट्र के गन्ना किसान कीट के प्रकोप से हैरान है। पुणे के साथ कोल्हापुर, सांगली और सतारा जिलों में हजारों एकड़ फसल आर्मी वर्म, फफूंद (स्मट) और सफेद ग्रब की चपेट में आई है। अगर कीट का प्रकोप बढ़ता है तो इससे गन्ना उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। समय रहते कीट के प्रकोप को रोकने के लिए किसान, कृषि विभाग और चीनी मिलों ने कमर कस ली हैं।

पुणे में सफेद ग्रब का प्रकोप…

पिछले कुछ वर्षों से मानसून के मौसम में गन्ना सफेद ग्रब से प्रभावित होता है। सफेद ग्रब से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। नुकसान से बचने के लिए किसान नए नए विकल्प तलाश रहे हैं। पुणे जिले के 900 से अधिक गांवों में गन्ना फसल को सफेद ग्रब से बचाने के लिए गन्ने के खेतों में 7800 लाइट ट्रैप लगाए गए हैं। इस लाइट ट्रैप में अब तक 2000 किलो से ज्यादा जस सफेद ग्रब को पकड़ा जा चुका है, और किसान गन्ने के नुकसान को कुछ हद तक कम करने में सफल रहे है। आमतौर पर जून और जुलाई में कम बारिश के बाद सफेद ग्रब तेजी से फैलती है। पुणे जिले में, बारामती, इंदापुर, शिरूर, खेड़, जुन्नार, अंबेगांव तालुकों में सफेद ग्रब से सबसे जादा फसल प्रभावित हुई है।

कोल्हापुर जिले में आर्मी वर्म की दस्तक…

कोल्हापुर जिले के चंदगड समेत कुछ अन्य तालुकों में आर्मी वर्म ने आक्रमण किया है। रातों-रात खड़ी फसल में आर्मी वर्म का प्रकोप हो रहा है। आर्मीवर्म की रोकथाम के लिए कृषि विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है। चूंकि कीट अपने प्रारंभिक चरण में है, किसान समय पर इससे छुटकारा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जिले के करवीर, कागल, आजरा तालुकों में कुछ हद तक आर्मी वर्म का प्रकोप भी देखा गया है।आर्मी वर्म कीट की मादा सफेद रंग की होती है और पत्तों पर 50 से 150 तक समूह में अंडे देती है। तीन से पांच दिन में सुंडी निकलर फसल की गोभ में चली जाती है और पत्तियों को खुरच-खुरच कर खाना शुरू कर देती है।

सांगली में फफूंद (स्मट) ने बढ़ाई किसानों की चिंता…

सांगली जिले के पलुस तालुका क्षेत्र में फफूंद (स्मट) का प्रकोप देखा जा रहा है।गन्ने के ऊपर से चाबुक जैसा लंबा पट्टा निकलता है। इसके प्रभाव से ऊपर से निकलने वाली पत्तियां विकृत हो जाती हैं। पत्तियां आपस में चिपकी हुई व चूड़ीदार निकलती हैं एवं उस भाग में हरापन नहीं होता। इस रोग की तीव्रता अधिक होने पर ऊपरी भाग में स़ड़न तक हो सकती है।यह कीट बीज और हवा से तेजी से फैलता है। खासकर यदि रोग पांच प्रतिशत से अधिक संक्रमित हो तो फसल को हटाना पड़ता है। इसके अलावा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि उस खेत में एक साल तक गन्ना नहीं बोना चाहिए। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

गन्ना उत्पादन घटने की संभावना…

पश्चिम महाराष्ट्र राज्य में सबसे अधिक गन्ना उत्पादन करने में योगदान देता है। इस साल गन्ना उत्पादन कम होने से सीजन जल्दी खत्म हो गया है। हालांकि, महाराष्ट्र ने 30 अप्रैल तक देश में सबसे अधिक 105.3 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया है। लेकिन राज्य में गन्ना और चीनी का उत्पादन उम्मीद से कम हुआ है। अब गन्ना फसल आर्मी वर्म, फफूंद (स्मट) और सफेद ग्रब से प्रभावित हो रही है। इसका असर आगामी पेराई सीजन पर पड़ने की संभावना है।

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