नई दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) चीनी मिलों के प्रमुख संगठन, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने लगातार दूसरी बार सोमवार को चालू विपणन वर्ष 2018-19 के लिए चीनी उत्पादन अनुमान को कम कर 3.07 करोड़ टन किया है। इसकी वजह चीनी के बजाय एथनॉल का उत्पादन बढ़ना बताया जा रहा है।
इस्मा ने जुलाई 2018 में चालू विपणन सत्र के दौरान 3.5 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया था। यह आंकड़ा चीनी उत्पादन का अब तक का सर्वोच्च स्तर है। इससे पिछले वर्ष देश में 3.25 करोड़ टन चीनी उत्पादन हुआ था। हालांकि, कुछ राज्यों में बेमौसम वर्षा और कीट हमले को ध्यान में रखते हुए बाद में पिछले साल के अक्टूबर में इस अनुमान को घटाकर 3.15 करोड़ टन कर दिया गया था।
निर्यात के बारे में, इस्मा ने कहा कि यह मौजूदा विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में 30 से 35 लाख टन तक हो सकता है। हालांकि, सरकार ने वर्ष के दौरान 50 लाख टन चीनी निर्यात कोटा तय किया है। संगठन ने कहा है कि निर्यात लक्ष्य हासिल करने के लिये सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे।
दिसंबर 2018 तक गन्ने का बकाया 19,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
इस्मा ने चालू चीनी विपणन वर्ष की शेष अवधि में गन्ने से चीनी प्राप्ति दर जैसे पहलुओं पर गौर करते हुए चीनी उत्पादन अनुमान को 2.53 प्रतिशत कम किया है। उसके मुताबिक चालू विपणन वर्ष में चीनी उत्पादन लगभग 3.07 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
इस्मा ने बयान में कहा है, “करीब पांच लाख टन चीनी का ‘बी’ भारी शीरे के जरिए इथेनॉल उत्पादन में चले जाने की वजह से चीनी उत्पादन में यह गिरावट अनुमानित है।’’
चालू विपणन वर्ष में 15 जनवरी तक, चीनी मिलों ने एक करोड़ 46 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जो कि एक साल पहले इसी अवधि में एक करोड़ 35 लाख टन था।
इस्मा ने कहा कि देश में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों ने 41.9 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जबकि महाराष्ट्र ने 57.2 लाख टन और कर्नाटक ने इस वर्ष 15 जनवरी तक 26.7 लाख टन चीनी उत्पादन किया।
इस्मा ने कहा, “ऐसा इसलिए है क्योंकि चालू सत्र में चीनी मिलों ने पहले से काम करना शुरू कर दिया था, फिर भी पूरे साल भर का चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम रहेगा।”
इस्मा ने कहा कि संशोधित अनुमान के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल चीनी उत्पादन कम यानी चालू वर्ष में एक करोड़ 12 लाख टन रहने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष में एक करोड़ 20 लाख टन था।
महाराष्ट्र में उत्पादन अनुमान पहले के 95 लाख टन ही रहने का अनुमान है, लेकिन यह पिछले वर्ष के 1.07 करोड़ टन के वास्तविक उत्पादन से कम है।
कर्नाटक के लिए उत्पादन अनुमान चालू वर्ष में 42 लाख टन रखा गया है, जो उत्पादन पिछले वर्ष के 37.5 लाख टन से अधिक है।
इस्मा ने कहा कि अन्य राज्यों (तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तराखंड) में उत्पादन इस साल 62 लाख टन होना आंका गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ढाई लाख टन अधिक है।
भारत दुनिया में ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है। इसकी वार्षिक चीनी खपत लगभग 2.6 करोड़ टन है।