इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने जून 2022 में सरकार को पत्र लिखकर चीनी के निर्यात के लिए 10 LMT अतिरिक्त मात्रा की मांग की थी। एक बार फिर उद्योग निकाय ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए मांग दोहराई है और कहा है कि चीनी मिलों ने निर्यात के लिए 17 LMT चीनी के लिए आवेदन किया था, लेकिन केवल 8 LMT के लिए Export Release Orders (EROs) जारी किए गए थे।
इसके अलावा, सरकार को लिखे गए पत्र में कहा गया है की लगभग 6-7 LMT कच्ची चीनी मिलों या बंदरगाहों पर ऐसे ही पड़ी है और क्लोजिंग स्टॉक के निर्माण में अनुपयोगी साबित हो रही है। मिलों के पास निर्यात को छोड़कर कच्ची चीनी को सफेद चीनी में बदलने या घरेलू बाजार में बेचने का कोई विकल्प नहीं है। गैर-निर्यातित मात्रा के लिए, मिलों को न केवल वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ेगा, बल्कि अनुबंधों को पूरा न करने के लिए लिटिगेशन का भी सामना करना पड़ेगा।
ISMA के अध्यक्ष श्री आदित्य झुनझुनवाला ने पत्र में यह भी कहा कि मई 2022 तक भारत द्वारा लगभग 86 LMT के रिकॉर्ड निर्यात के बाद, देश भर में घरेलू कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है और यह 32 से 35 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास मँडरा रही है जो अभी भी चीनी उत्पादन लागत से कम है। इसलिए, यह मानने का कोई कारण नहीं है कि 10 LMT चीनी का निर्यात घरेलू बाजार को प्रभावित करेगा, इसके बजाय क्लोजिंग बैलेंस आरामदायक स्तर पर होगा जो अक्टूबर 2022 से शुरू होने वाले अगले सीजन में 2.5 महीने के लिए देश की जरूरतों को पूरा करेगा।