कोइम्बतुर : इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने गन्ने की नई किस्मों को विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-गन्ना प्रजनन संस्थान ( Indian Council of Agricultural Research-Sugarcane Breeding Institute) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो बेहतर पैदावार और उच्च चीनी रिकवरी देगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने ‘द हिंदू’ को बताया कि, पांच साल की परियोजना में 25 चीनी मिलें शामिल होंगी और उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त सफल किस्मों को हर साल किसानों के लिए जारी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि, इस परियोजना में ₹7.5 करोड़ का वित्तीय परिव्यय शामिल है और यह चीनी मिलों से एथेनॉल की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है। अब, हमारे पास चीनी और एथेनॉल की घरेलू और निर्यात खपत का अच्छा संतुलन है। हम गन्ने की पैदावार और रिकवरी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। अब औसत उपज 80 टन प्रति हेक्टेयर है और परियोजना का लक्ष्य 100 टन है। उन्होंने कहा, रिकवरी के मामले में यह फिलहाल 10.85% है और लक्ष्य 11.5% है। पैदावार बढ़ने पर किसानों को बेहतर भुगतान मिलेगा। इस परियोजना में किस्मों के वास्तविक लाभ का आकलन करने के लिए बड़ी मिल परीक्षण शामिल है।
संस्थान की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, गन्ना प्रजनन संस्थान के निदेशक जी. हेमाप्रभा ने कहा कि, इस परियोजना में देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित चीनी मिलों में विशिष्ट गन्ना क्लोनों का मूल्यांकन शामिल है। उपज और गुणवत्ता क्षमता के लिए 40 से अधिक बेहतर क्लोनों का परीक्षण किया जाएगा। एसोसिएशन ने एक अन्य परियोजना के लिए भी संस्थान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो यह निर्धारित करेगा कि गन्ना भारी मात्रा में पानी की खपत करता है या नहीं और इसकी पानी की सटीक आवश्यकताएं क्या हैं।झुनझुनवाला ने कहा, इससे किसानों को फसल के लिए जल प्रबंधन में मदद मिलेगी।
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