नई दिल्ली : इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने सरकार से उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) के अनुरूप चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) 31 रुपये प्रति किलोग्राम (31,000 रुपये प्रति टन) के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 38 रुपये प्रति किलोग्राम (38,000 रुपये प्रति टन) करने का आग्रह किया है। खाद्य मंत्रालय को भेजे एक पत्र में ISMA के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने कहा है की, सरकार ने पहली बार 7 जून, 2018 को चीनी MSP 29 रुपये प्रति किलो तय किया था, जब गन्ने का FRP प्रति टन 2550 रुपये था। वर्ष 2018-19 में FRP बढ़ाकर 2750 रुपये प्रति टन और चीनी MSP भी बढ़ाकर 14 फरवरी, 2019 को 31 रुपये प्रति किलोग्राम किया गया। FRP में काफी वृद्धि के बावजूद 2018-19 से MSP में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
ISMA ने 25 जनवरी, 2023 के पत्र में सरकार को सूचित किया था कि, चीनी की उत्पादन लागत मौजूदा FRP पर प्रति किलोग्राम 37 -38 रुपये तक बढ़ गई है। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में FRP में वृद्धि और चीनी की रिकवरी में 0.20 प्रतिशत (सीजन 2022-23 और 2021-22 के बीच) की गिरावट शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप चीनी के उत्पादन की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
ISMA का दावा है कि, कच्चे माल की लागत के अलावा अन्य घटकों की लागत भी बढ़ गई है, जिसमे मरम्मत और रखरखाव को प्रभावित करने वाले स्टील और अन्य धातु की लागत; गंधक, चूना आदि जैसे महत्वपूर्ण रसायनों की कीमत में भारी वृद्धि; और पैकिंग सामग्री विशेष रूप से जूट बैग और एचडीपीई/पीपी बैग (एचडीपीई ग्रेन्यूल्स की कीमत में वृद्धि के कारण) की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साथ ही मजदूरों की लागत में उछाल आया है। ISMA के मुताबिक, MSP में बढ़ोतरी से चीनी मिलें गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में सक्षम होंगी।