लखनऊ : अधिशेष चीनी की समस्या से निपटने के लिए, चीनी मिलों की आर्थिक सेहत सुधारने और किसानों को सही समय पर भुगतान दिलाने के लिए केंद्र सरकार एथेनॉल उत्पादन पर जोर दे रही है। चीनी की जगह एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार चीनी मिलों को सहुलियतें भी दे रही है। एथेनॉल उत्पादन की गंभीरता को समझते हुए उत्तर प्रदेश में चीनी मिलें इस पर जोर दे रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को कहा कि गोरखपुर स्थित पिपराइच चीनी मिल उत्तर भारत में गन्ने के रस से सीधे तौर पर एथेनॉल बनाने वाली पहली मिल होगी। केंद्र ने पिछले साल जुलाई में चीनी मिलों को गन्ने के रस अथवा बी-शीरे से सीधे एथेनॉल बनाने की अनुमति दी है। चीनी का अधिशेष उत्पादन होने की वजह से चीनी मिलों को एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना के रस को अन्यत्र उपयोग में लाने की मदद के लिए यह फैसला किया गया था।
उत्तर प्रदेश के गन्ना राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेश राणा ने विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान कहा की सरकार के प्रयास से आज उत्तर प्रदेश देश में एथेनॉल का आपूर्तिकर्ता राज्य है। हमारा एथेनॉल उत्पादन 42.37 करोड़ लीटर है। पिछले वर्ष किये गये काम के आधार पर केन्द्र सरकार ने 81.36 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य दिया है।
उन्होंने कहा की, पूरे देश में 9106 करोड़ रुपये की 174 एथेनॉल परियोजनाएं स्वीकृति हुई हैं। उनमें से पहले चरण में 2369 करोड़ रुपये की 34 परियोजनाएं उत्तर प्रदेश में बनेंगी। दूसरे चरण की परियोजनाओं में से कुल 563 करोड़ रुपये की छह परियोजनाएं उत्तर प्रदेश के लिये स्वीकृत हुई हैं।
आने वाले समय में इथेनॉल का महत्त्व और बढ़ सकता है क्यूंकि हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही देश में एथेनॉल की बिक्री के लिए पंप लगाए जा सकते हैं। आपको बता दें कि देश में इस समय एथेनॉल की बिक्री के लिए एक भी पंप भी नहीं है। उन्होंने कहा था कि चीनी मिल अपने परिसर में इथेनॉल ईंधन पंप स्थापित करें।
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