लखनऊ: चीनी मंडी
कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया भर में तबाही मचाई है। जिससे लाखों लोगों की मृत्यु हो गई है और कई उद्योगों को प्रभावित किया है। चीनी उद्योग भी इससे बच नहीं पाया है, और गुड़ उद्योग भी इस लॉकडाउन की चपेट में आ गया है। उत्तर प्रदेश के अधिकांश छोटे गन्ना उत्पादक, गुड़ उत्पादन इकाई या खांडसरी इकाइयों में गन्ना बेचते हैं। लॉकडाउन के कारण ये गुड़ उत्पादन इकाईयां भी बंद हैं, इसलिए किसानों के पास गन्ना पेराई के लिए चीनी मिलों के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। गन्ना विशेषज्ञों के अनुसार, गुड़ इकाइयां बंद होने से उत्तर प्रदेश में अधिक पेराई हो सकती है।
जानकारों के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुछ मिलें जून के पहले हफ्ते तक तक पेराई करेंगी। जिससे राज्य में गन्ना पेराई 1070-1080 लाख टन से बढ़कर 1080 से 1120 लाख टन तक हो सकती है, और चीनी उत्पादन 125 लाख टन या उससे अधिक हो सकता है।
लॉकडाउन के पहले कुछ दिनों के दौरान, गुड़ उत्पादन इकाईयों में काम करनेवाले श्रमिक अपने अपने गावों को लौट गये है। अब, उन्हें वापस लाना मुश्किल है, और इससे गुड़ उद्योग के सामने संकट निर्माण हुआ है। साथ ही, लॉकडाउन के कारण कई गांवों में गुड़ के बाजार बंद है। मुजफ्फरनगर, मेरठ और खातोली जैसे बड़े बाजारों में गुड़ की खपत घटने के कारण गुड़ का बाजार भी प्रभावित हुआ है।
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