पटना : कोरोना वायरस के कारण लागु किये गए लॉकडाउन के बीच देश के हर हिस्से से लाखोँ प्रवासी श्रमिक बिहार लौट आए हैं, और वह सरकार से उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने की अपील कर रहे हैं। वे राज्य की बंद चीनी मिलों, कार्यशालाओं और उद्योगों के पुनरुद्धार की भी मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में न जाना पड़े। यह मजदूर केवल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत उपलब्ध नौकरियों पर निर्भर हैं। मजदूरों का मानना है की, अगर बिहार सरकार यहां बंद चीनी मिलें दोबारा शुरू करती है, तो उन्हें दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। पिछले कुछ सालों से बंद पड़ी सीतामढ़ी की चीनी मिल शुरू करने का आग्रह मजदूरों द्वारा किया जा रहा है, ताकि उन्हें वहां नौकरी मिल जाए।
इस बीच, #IndustriesinBihar ’सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, क्योंकि लोगों ने राज्य सरकार से पुरानी चीनी मिलों और कारखानों को पुनर्जीवित करने की अपील की है, ताकि अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। उद्योग मंत्री श्याम रजक ने दावा किया कि सरकार सभी प्रवासियों का डेटाबेस बना रही है। डेटा बिहार में औद्योगिक इकाइयों को उपलब्ध कराया जा रहा है, जिन्होंने लॉकडाउन के बीच परिचालन शुरू कर दिया है।हालाँकि, हमने अभी तक पुरानी फैक्ट्रियों या मिलों के पुनरुद्धार के बारे में निर्णय नहीं लिया है। हम खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और शहद और मखाना के उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
हालही में हिंद मजदूर सभा बिहार ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार को एक पत्र लिखकर आग्रह किया था कि, राज्य में बंद पड़ी चीनी मिलों को शुरू किया जाये। इससे करीब 25 हजार से अधिक मजदूरों को प्रत्यक्ष और दो लाख मजदूरों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का अवसर मिलेगा। इसके अलावा 25 लाख किसानों की आय में भी इजाफा होगा। उन्होंने यह भी दावा किया था की, चीनी मिलें फिर से शुरू करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो जाएगी।
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