करनाल: गन्ना प्रजनन संस्थान के वैज्ञानिकों ने गन्ने की कर्ण-17 किस्म ईजाद की

करनाल : कम लागत और जादा उत्पादन के लिए वैज्ञानिक गन्ने की नई किस्म के निर्माण में जुट गये है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके। गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र करनाल के वैज्ञानिकों ने गन्ने की नई सामान्य किस्म सीओ-17018 ईजाद की है, जिसे कर्ण-17 नाम भी दिया गया है। इस नई किस्म से गन्ने की पैदावार और रिकवरी भी बढ़ेगी। सीओ 17018 किस्म की पैदावार परीक्षणों में 91.48 टन प्रति हेक्टेयर रही है। इससे किसानों के साथ साथ चीनी मिलों को भी लाभ होगा। ये नई किस्म हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर पश्चिमी भारत के लिए है।

अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार, सालभर पहले क्षेत्रीय केंद्र गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल ने सीओ-16030 किस्म को ईजाद किया था। जिसे केंद्रीय किस्म रिलीज कमेटी (सीबीआरसी)ने रिलीज कर दिया था। वैज्ञानिक इस किस्म के साथ साथ एक और सामान्य किस्म पर काम कर रहे थे। क्षेत्रीय केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.रविंद्र कुमार के अनुसार सामान्य किस्म की जरूरत इसलिए भी थी, क्योंकि उत्तर भारत में अगेती किस्मों का प्रचलन बढ़ रहा है।

खबर में आगे कहा गया है की, जल्द तैयार होने, चीनी परता ठीक होने के कारण मिलें भी अगेती किस्मों को खरीदने व प्रोत्साहित करने में रुचि लेती हैं। जिसका परिणाम ये हो गया है कि करीब 80 से 90 प्रतिशत गन्ना क्षेत्र अगेती किस्मों का हो गया है, जिससे किस्म असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई है। अब वैज्ञानिकों ने नई किस्म ईजाद की है, जिसे सीओ-17018 नाम दिया गया है। इस किस्म को तैयार करने के लिए केंद्र के वैज्ञानिकों ने 13 सालों तक कठिन परिश्रम किया।इस किस्म को रिलीज करने के लिए सीबीआरसी को भेजा गया था। इसके सभी परीक्षण पूर्ण होने के बाद अब केंद्रीय किस्म रिलीज कमेटी ने इसे स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस किस्म को तैयार करने में जिन वैज्ञानिकों ने कार्य किया है, उनमें डॉ. रविंद्र कुमार, डॉ़. एमआर मीणा, डॉ.आर.करुपेयन, डॉ. बक्शी राम, डॉ.जी. हेमप्रभा, डॉ. एमएल छाबड़ा, डॉ. पूजा और डॉ. बी.परमेश्वरी शामिल हैं।

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