बेलगावी: बेलगावी जिले के गन्ना किसानों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।पेराई सत्र की देरी से शुरुआत होने से मौजूदा समस्याओं जैसे कि कम कीमत और उपज में इजाफा हो रहा है। पिछले साल 2.8 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3 लाख हेक्टेयर तक रोपण क्षेत्र में वृद्धि के बावजूद, देरी से गन्ने की गुणवत्ता और उत्पादन में कमी का जोखिम है। राज्य के 16 जिलों में फैली 76 चीनी मिलों में से 29 बेलगावी जिले में चल रही हैं। राज्य के अन्य प्रमुख चीनी उत्पादक जिले बागलकोट (13 मिल), विजयपुरा (9), मंड्या (5), बीदर (5), कलबुर्गी (4) और हावेरी (2) हैं।
गन्ना किसानों को इस साल भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें कर्ज का बोझ, नवंबर के आखिरी हफ्ते में लगातार बारिश, श्रमिकों की अनुपलब्धता और गन्ने के सूखने की चिंता शामिल है। इसके अलावा पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में चल रहे विधानसभा चुनावों ने भी कर्नाटक की चीनी मिलों और किसानों को प्रभावित किया है। कर्नाटक राज्य के 16 जिलों में चीनी मिलें सालाना 586 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई करती हैं। 10-15 सदस्यों वाले लगभग 1,300 समूह कटाई के लिए महाराष्ट्र से कर्नाटक आते हैं। हर साल अक्टूबर में ये समूह कर्नाटक आते हैं। मौजूदा चुनावी मौसम के कारण गन्ने की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इस कारण गन्ना उत्पादक चिंतित हैं कि इससे पैदावार प्रभावित होगी।
चिकोडी के किसान संदीप ने कहा कि, इस साल नवंबर के चौथे सप्ताह में भी बारिश ने उन्हें राहत नहीं दी है। उन्होंने कहा, इसलिए हम कटाई के लिए जमीन के सूखने का इंतजार कर रहे हैं। बेलगावी जिले में चीनी मिलें दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू होने की उम्मीद है। गन्ना परिवहन ट्रैक्टर के मालिक रमेश ने कहा कि, केंद्र सरकार ने संबंधित क्षेत्र के आधार पर औसतन 2,850 से 3,500 प्रति टन के बीच उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय किया है। चूंकि चीनी मिलें कटाई की लागत कम कर रही हैं, इसलिए किसानों को गन्ने के प्रति टन 2,650-2,900 रुपये ही मिल रहे हैं।
बेलगावी जिले में रायबाग, अथनी, चिकोडी और बेलगावी तालुका में कई गुड़ इकाइयां हैं। आमतौर पर, गन्ना पेराई का मौसम खत्म होने के बाद या एक साथ, गुड़ इकाइयां उत्पादन शुरू कर देती हैं। चीनी मिलों से उपोत्पाद न मिलने के कारण गुड़ का उत्पादन भी शुरू नहीं हो पाया है। किसान नेता सिदगौड़ा ने कहा, हमारी मांग है कि गन्ने की कटाई से पहले मूल्य संशोधन किया जाए। सभी मिलों में सरकारी तौल मशीनें लगाई जाएं। कटाई करने वाले मजदूरों की मजदूरी और परिवहन लागत पहले से तय होनी चाहिए। किसानों को बिल जारी करने में देरी करने पर मिलों को ब्याज देना होगा। जिला प्रशासन को चीनी मिलों को नोटिस जारी करने के बजाय किसानों को बकाया भुगतान न करने पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शिवनगौड़ा पाटिल ने कहा कि, किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए विभाग सहयोग कर रहा है।