कर्नाटक: किसान नेताओं ने चीनी इकाइयों की लीज प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की

बेलगावी: कर्नाटक राज्य रैयत संघ और कृषि समाज के नेताओं ने राज्य सरकार से बेलगावी जिले में दो सहकारी चीनी मिलों के हस्तांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने का आग्रह किया है। हिरण्यकेशी सहकारी चीनी मिल (एचसीएसएफ) और मालाप्रभा सहकारी चीनी मिल (एमसीएसएफ) को लीज पर दिया जाना तय है। हाल के महीनों में मिलों की वार्षिक आम सभा की बैठकों के दौरान इस आशय के निर्णय लिए गए हैं। हालांकि, किसान नेताओं ने मांग है कि, लीज की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और गन्ना किसानों को विश्वास में लिया जाना चाहिए।

कृषक समाज के अध्यक्ष सिदागौड़ा मोदगी ने कहा कि, जब तक निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाली एजेंसी यह साबित नहीं कर देती कि वह मिल को लाभप्रद रूप से चलाने में सक्षम है, तब तक मिल को लीज पर नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें संदेह है कि कोई कंपनी जो अपने घाटे को नियमित करना चाहती है, उसे यह इकाई नहीं मिल जाती। उत्तरी कर्नाटक में पहले भी ऐसा हो चुका है। अगर ऐसा दोबारा हुआ तो किसानों के साथ धोखा होगा। उन्होंने लीजिंग प्रक्रिया और मिलों के प्रबंधन में राज्य सरकार के हस्तक्षेप की मांग की।

उन्होंने कहा, चीनी मिलों पर तीन मंत्रालयों- चीनी, सहकारिता और उद्योग का नियंत्रण है और इसलिए, इनका उचित विनियमन नहीं है। हम मांग कर रहे हैं कि नियंत्रण का एक ही बिंदु हो। उम्मीद है कि सरकार हमारी बात सुनेगी। मोदगी ने कहा कि, एमसीएसएफ को इष्टतम क्षमता में चीनी और एथेनॉल का उत्पादन शुरू करने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने मांग की, सरकार को नए प्रबंधन की गतिविधियों को भी विनियमित करना चाहिए।

पूर्व विधायक और एचएससीएफ के पूर्व निदेशक शशिकांत नाइक ने कहा कि, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश सहकारी समितियां खराब प्रदर्शन कर रही हैं जबकि निजी कारखाने फल-फूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि, कारखाने के निदेशकों द्वारा खेली गई राजनीति कारखाने की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, पहले यह मिल राज्य में सर्वश्रेष्ठ में से एक थी, लेकिन अब यह घाटे में चल रही है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक अच्छी तरह से, पेशेवर रूप से संचालित कंपनी मिल का अधिग्रहण करे। उन्होंने कहा, ‘या फिर इसे किसानों को लौटा दिया जाना चाहिए, जो शेयरधारक हैं।

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