बेलगावी: राज्य सरकार ने पहले ही बेलगावी जिले के 14 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। बारिश की कमी के कारण बेलगावी में अब तक सिर्फ 38 फीसदी बुआई ही हो पाई है। इससे आने वाले दिनों में, खासकर गर्मियों में मवेशियों के लिए चारे की आपूर्ति प्रभावित होगी। मानसून सीजन में कम बारिश के कारण मिट्टी में नमी कम हो गई है। साथ ही जिले में तापमान में बढ़ोतरी ने कुछ दिन पहले हरी-भरी दिखने वाली धरती को सूखी और बंजर बना दिया है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शिवनगौड़ा पाटिल ने कहा कि रबी सीजन में केवल 38% बुआई हुई है।
बारिश की कमी के कारण नई बुआई संभव नहीं है, लेकिन पहले ही बोई गई फसल ठीक हो जाएगी। किसानों ने अपने मवेशियों के लिए पर्याप्त चारा जमा कर लिया है, लेकिन डेयरी किसान और चरवाहे जो अपने मवेशियों पर निर्भर है। अपने स्वयं के खेत चारे की कमी का सामना कर रहे हैं। अथनी, चिकोडी, रायबाग, हुक्केरी, गोकाक, बेलगावी, कित्तूर और खानापुर में गन्ने के खेतों से सटे क्षेत्रों में हरा चारा उपलब्ध है। अब किसानों को चिंता है कि, गन्ना पेराई के बाद यह चारा नहीं बचेगा।
पशु चिकित्सालय, बेलगावी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एचके यारागट्टी ने कहा कि, जिले में 29 लाख से अधिक मवेशी हैं, जिनमें 14 लाख बड़े मवेशी और 14.6 लाख छोटे मवेशी शामिल है। अब तक, जिले में मवेशियों के लिए 16.6 लाख मीट्रिक टन चारा उपलब्ध है, लेकिन जिले को हर हफ्ते लगभग 67,000 टन चारे की आवश्यकता होती है।
उपलब्ध चारा केवल 25 सप्ताह के उपयोग के लिए पर्याप्त होगा। इसके बाद समस्या खड़ी हो सकती है। 17,000 चारा किटों के लिए सरकार को पहले ही एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा चुका है। जिले में अब तक 4000 चारा किट वितरित किये जा चुके हैं। किट केवल उन्हीं किसानों को वितरित की जानी है, जिनके पास पशुधन है। फिलहाल मार्च तक चारे की कमी नहीं होगी। एहतियात के तौर पर चारे की जरूरतों को पूरा करने के लिए 72 चारा बैंक खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि, यदि चारा बैंक जरूरतें पूरी नहीं कर पाएंगे, तो गौशालाएं खोली जाएंगी।