मैसूर : केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) को लेकर किसान असहमत है और उन्होंने दावा किया कि, यह एफआरपी गन्ने फसल की इनपुट लागत को भी पूरा नहीं करता है।
द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, राज्य गन्ना किसान संघ ( State Sugarcane Cultivators Association) के अध्यक्ष कुरबुर शांता कुमार ने यहां मीडियाकर्मियों को बताया कि, केंद्र ने ₹2,900 प्रति टन की एफआरपी की घोषणा की है और यह पिछले वर्षों की तुलना में 10 प्रतिशत रिकवरी के आधार पर ₹50 प्रति टन की मामूली वृद्धि है। शांताकुमार ने कहा, खेती की लागत बढ़कर 3,200 रुपये प्रति टन हो गई है और इसिलिये हम एफआरपी बढ़ाने की मांग कर रहे है।
इस बीच, एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया है कि, चीनी मिलों द्वारा कम रिकवरी का हवाला देकर किसानों को परेशान किया जाता है। इसलिए एसोसिएशन ने रिकवरी दर के आकलन में एक पारदर्शी तंत्र की मांग की। शांताकुमार ने कहा कि, एफआरपी बढ़ाने के अलावा, जल्द से जल्द पिछले सीजन का बकाया भुगतान किया जाना चाहिए। शांताकुमार ने गन्ने के लिए एफआरपी की समीक्षा और संशोधन के अलावा खेत से मिल तक गन्ने के परिवहन की लागत को मिल द्वारा वहन करने की मांग की। एसोसिएशन ने अपनी लंबे समय से लंबित मांग को भी दोहराया कि, गन्ना उप-उत्पादों से मिलों द्वारा अर्जित राजस्व में किसानों को भी हिस्सा दिया जाना चाहिए।