बेलगावी : कृषि गतिविधियों के बंद होने के कारण आय के अभाव से जूझ रहे गन्ना उत्पादकों को अब चीनी मिलों द्वारा गन्ना बिलों का भुगतान न करने के कारण और अधिक वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा चीनी निर्यात और एथेनॉल के उत्पादन को प्रतिबंधित करने से मिलों की आय पर असर पड़ा है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गन्ने की कटाई का सीजन खत्म हुए महीने बीत चुके हैं और मिलों पर अब भी करीब 1,500 करोड़ रुपये का बिल बकाया है। बेलगावी जिले की 28 चीनी मिलों में से 10 मिलों पर एफआरपी के अनुसार किसानों का 216 करोड़ रुपये का गन्ना बिल बकाया है।
उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) नियमों के अनुसार गन्ना बिलों का भुगतान गन्ने की आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। हालांकि, कई मिलों ने दिसंबर से अपने बिलों का भुगतान नहीं किया है। कुछ मिलों ने पिछले साल का गन्ना बकाया बरकरार रखा है।
चीनी आयुक्त पी रविकुमार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चीनी निर्यात और एथेनॉल के उत्पादन को निलंबित करने के कारण चीनी मिलों के सामने समस्याएं बढ़ गई हैं। इससे गन्ना बिलों के भुगतान में देरी हुई। कई और मिलों पर गन्ना बिल भुगतान बकाया है। 31 मई तक सभी बकाया गन्ना बिलों का भुगतान होने की उम्मीद है।