मांड्या: लंबे समय से बंद कर्नाटक सरकार के स्वामित्व वाली मैसूर शुगर कंपनी लिमिटेड या मायशुगर मिल में अब इस साल जुलाई में फिर से परिचालन शुरू होने की उम्मीद है। आपको बता दे की, 1933 में नलवाड़ी कृष्णराजा वाडियार के शासन के दौरान स्थापित मिल नुकसान के साथ साथ अन्य कई समस्याओं के चलते पिछलें कई सालों से बंद है। मिल को शुरू करने के कई असफल प्रयासों के बाद, कई निजी खिलाड़ियों ने मायशुगर मिल को अपने कब्जे में लेने में रुचि दिखाई थी। बसवराज बोम्मई सरकार ने मिल को पुनर्जीवित करने के निर्णय की घोषणा की और इसके लिए बजट में ₹50 करोड़ की घोषणा की, जिससे गन्ना उत्पादकों में मिल शुरू होने को लेकर आशा की किरण जगी।
मांड्या जिले के प्रभारी मंत्री के गोपालैया ने हाल ही में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ मिल का दौरा किया और कहा कि 15 से 25 जुलाई के बीच मिल को फिर से शुरू करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा की, मिल को तैयार रखने का काम दो फर्मों को सौंपा गया है। इसके पुनरुद्धार से जुड़े सभी कार्यों को पूरा करने के लिए 60-70 दिन की अवधि दी गई है। सोमवार से काम शुरू हो जाएगा। मिल का जीर्णोद्धार, बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल करने के अलावा मिल में फिर से शुरू होने से पहले बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करना जरुरी है। मायशुगर किसानों से गन्ने की सुचारू खरीद के लिए मांड्या में होबली स्तर पर भी कार्यालय खोलेगी। मांड्या से संबंध रखने वाले रेशम उत्पादन, युवा अधिकारिता और खेल मंत्री नारायण गौड़ा ने कहा कि मशीनरी की मरम्मत महत्वपूर्ण है और सरकार ने उनकी मरम्मत के लिए धन जारी किया है।
सरकार के प्रयासों के बावजूद, किसान जुलाई में इसके संचालन को लेकर साशंक हैं क्योंकि मिल में बहुत काम करना है और जुलाई तक मशीनरी की मरम्मत सहित ये काम पूरा होने की संभावना नहीं है। राज्य गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुरुबुर शांतकुमार ने कहा कि, मायशुगर के पुनरुद्धार से मांड्या के उत्पादकों को काफी हद तक मदद मिलेगी क्योंकि वे मांड्या में मिल होने के बावजूद पड़ोसी जिलों में गन्ने का परिवहन कर रहे थे।