बेलगावी : अखिल भारतीय गन्ना उत्पादक संघ की राष्ट्रीय स्तरीय समिति ने 29 और 30 सितंबर को कलबुर्गी में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। बुधवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राज्य संघ के समन्वयक एनएल भरतराज ने कहा कि हालांकि यह एक राज्य स्तरीय सम्मेलन है, लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के नेता सम्मेलन में भाग लेंगे और सभा को संबोधित करेंगे।
भरतराज ने कहा कि, सम्मेलन में गन्ना उद्योग के मौजूदा परिदृश्य और गन्ना किसानों के पक्ष में उठाए जाने वाले प्रस्तावित उपायों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि, चीनी मिल प्रबंधन के साथ हाथ मिलाकर केंद्र और राज्य सरकारें गन्ना किसानों को धोखा दे रही हैं। उन्होंने कहा, अगर केंद्र को किसानों की चिंता होती तो वह 5,000 रुपये प्रति टन उचित पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) तय करता। 1994-95 में एफआरपी चीनी की 8.5% रिकवरी पर तय होती थी। बाद में इसे बदलकर 9.5% रिकवरी कर दिया गया और अब इसे बढ़ाकर 10.25% कर दिया गया है। केंद्र सरकार को एमएस स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू करके 5,370 रुपये एफआरपी की घोषणा करनी चाहिए।
भरतराज ने कहा कि, राज्य में अधिकांश चीनी मिलें विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंधित विधायकों और मंत्रियों के स्वामित्व में हैं। इस वजह से उन्हें गन्ने के उप-उत्पादों के आधार पर राज्य-सलाह मूल्य (एसएपी) तय करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। किसान नेता सिदागौड़ा मोदगी, बीएस सोपिन, जीएम जैनखान और चंद्रगौड़ा पाटिल मौजूद थे।