कर्नाटक: चीनी मिलों को बायप्रोडक्ट्स से होने वाले मुनाफे को किसानों के साथ करना पड़ सकता है साझा

हुबली : कर्नाटक में किसान गन्ने के बेहतर मूल्य की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कर्नाटक सरकार अब चीनी मिलों और किसानों के लिए एक राजस्व साझा करने का फार्मूला पेश करने की योजना बना रही है, जिसके तहत चीनी मिलें उप-उत्पादों (byproducts) से अपने लाभ का एक हिस्सा किसानों के साथ साझा कर सकती हैं।

डेक्कन हेराल्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक, उपोत्पादों के माध्यम से चीनी मिलों की आय और गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) से अधिक अतिरिक्त राशि तय करने के पक्ष और विपक्ष का अध्ययन करने के लिए गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने अपना अध्ययन पूरा कर लिया है। समिति के निष्कर्षों के आधार पर, चीनी मंत्री शंकर पाटील मुनेकोप्पा ने गुरुवार (24 नवंबर) को बेंगलुरु में चीनी मिल मालिकों की एक बैठक बुलाई है, जिसमें किसानों के साथ उप-उत्पादों से लाभ साझा करने के फार्मूले पर चर्चा की जाएगी।

चीनी मंत्री शंकर पाटील मुनेकोप्पा ने कहा, हम चीनी मिल मालिकों से एथेनॉल, स्पिरिट, मोलासेस और को-जेनरेशन जैसे उप-उत्पादों से अपने लाभ का कुछ प्रतिशत गन्ना उत्पादकों के साथ साझा करने का अनुरोध करेंगे, क्योंकि मिलें केवल किसानों के कारण चलते हैं। यदि मिलें इससे सहमत नहीं होते हैं, तो हम मुख्यमंत्री से परामर्श करेंगे। उन्होंने कहा कि, अधिकांश चीनी मिलों को केवल चीनी उत्पादन से लाभ नहीं मिल रहा है और चीनी उत्पादन लाभ को किसानों के साथ साझा करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा, मिलों ने अभी तक उप-उत्पादों से लाभ नहीं दिखाया है। उन्होंने कहा कि, यदि उप-उत्पादों से उनके लाभ का कुछ हिस्सा किसानों के साथ साझा किया जाता है, तो यह उन किसानों के लिए राहत होगी जो एफआरपी पर अतिरिक्त राशि की मांग कर रहे हैं।

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