मैसूरू: कर्नाटक में गन्ना किसानों ने 2021-22 के लिए गन्ना खेती की लागत के अनुरूप उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में वृद्धि की मांग की है। चालू सीजन के लिए एफआरपी की घोषणा की जानी बाकी है, लेकिन किसानों का कहना है कि प्रति टन गन्ने की लागत में वृद्धि के कारण वे काफी संकट में हैं। उनका कहना है की गन्ना लागत प्रति टन लगभग 3,200 से 3,500 तक होती है, जिसके मुकाबले 2020-21 के लिए एफआरपी 2,850 रूपयें थी और यह पूरी तरह से अपर्याप्त है।
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक देश के शीर्ष गन्ना उत्पादकों में से एक है। कर्नाटक गन्ना के अध्यक्ष कुरुबुर शांताकुमार ने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी के कारण श्रमिकों के कमी का मुद्दा हैं और इसका अगले चक्र में बुवाई और कटाई दोनों पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि, चीनी मिलों द्वारा दिए गए आंकड़ों की सत्यता का पता लगाने के लिए एक पारदर्शी तंत्र के अभाव में प्रति टन गन्ना चीनी की रिकवरी के आधार पर मूल्य निर्धारण भी किसानों के पक्ष में नहीं था। मिलें अतिरिक्त भुगतान से बचने के लिए चीनी की वास्तविक रिकवरी को कम करती हैं और उससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। महामारी की दूसरी लहर में ग्रामीण क्षेत्रों में covid -19 सकारात्मक मामलों में वृद्धि देखी गई और लोगों को संभावित तीसरी लहर से सावधान रहने की सलाह दी जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को डर है की कटाई के दौरान श्रमिक समस्याएं हो सकती हैं।
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