मैसूर: कर्नाटक भर के गन्ना उत्पादक 5 अक्टूबर को बेंगलुरु में विधान सौधा की घेराबंदी करने की योजना बना रहे हैं, ताकि केंद्र सरकार पर गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में 2,850 रुपये प्रति टन से 2,900 रूपये प्रति टन की ‘मामूली’ बढ़ोतरी की समीक्षा करने का दबाव बनाया जा सके। केंद्र सरकार ने हाल ही में गन्ने के लिए एफआरपी 10 प्रतिशत चीनी की रिकवरी दर 2,900 रूपये प्रति टन तय की है। कर्नाटक गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुरबुर शांता कुमार ने गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी को कम बताया है।
शांता कुमार ने केंद्र से यह जानना चाहा कि एफआरपी 2,900 रुपये प्रति टन तय करने के पीछे का तर्क क्या है, जबकि कृषि विभाग ने उत्पादन लागत 3,200 रुपये प्रति टन होने का अनुमान लगाया था। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा कटाई के लिए मजदूरों का भुगतान खर्च, उर्वरक की लागत और परिवहन शुल्क बढ़ गया है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि, केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी के बाद गन्ने के लिए ‘अवैज्ञानिक’ एफआरपी कैसे तय कर सकता है। शांताकुमार ने कहा कि, केंद्र सरकार को एफआरपी को 3,500 रूपये प्रति टन तय करना चाहिए। शांता कुमार ने कहा कि, कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों के किसान बेंगलुरु में इकट्ठा होंगे, और 5 अक्टूबर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए विधान सौधा की घेराबंदी करेंगे।
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