बेलगाम: राज्य सरकार ने राज्य भर में 12 स्थानों पर डिजिटल तौल कांटे लगाने का फैसला किया है। इनमें से बेलगाम जिले में तीन स्थानों पर तौल कांटे लगाए जाएंगे, ऐसी जानकारी चीनी एवं गन्ना विकास मंत्री शिवानंद पाटिल ने दी। किसान संघ ने बीजापुर में मंत्री शिवानंद पाटिल से मुलाकात की और किसानों की विभिन्न समस्याओं को उठाया। उस समय मंत्री शिवानंद पाटिल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, किसान अक्सर आरोप लगाते हैं कि चीनी मिलें गन्ने की तौल में धोखाधड़ी करती हैं। राज्य सरकार किसानों की मांग के अनुसार ये कदम उठा रही है।
मंत्री पाटिल ने कहा कि, राज्य में 80 चीनी मिलें हैं। इनमें से 72 चीनी मिलें पुराने जमाने के एनालॉग तराजू की जगह डिजिटल तराजू का इस्तेमाल कर रही हैं। पांच मिलों के मालिकों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इससे प्रक्रिया में देरी हुई; हालांकि, मंत्री पाटिल ने कहा कि अन्य कारखानों में भी डिजिटल कांटे लगाने की प्रक्रिया चल रही है। किसान संगठन अक्सर आरोप लगाते हैं कि गन्ना पेराई कारखानों द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा है। संगठनों ने आरोप लगाया था कि, गन्ने के वजन में हेराफेरी की जा रही है। यह मांग की गई कि सरकार पारदर्शिता के लिए डिजिटल तराजू स्थापित करे। इसे ध्यान में रखते हुए डिजिटल तराजू स्थापित किए जा रहे हैं। इसमें बेलगाम जिले में तीन और बागलकोट में दो तौल केंद्र शामिल होंगे।
गन्ने को नुकसान होने पर मुआवजा देने पर कर्नाटक सरकार का विचार
बिजली के तारों के संपर्क में आने से गन्ने के खेत में आग लगने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। राज्य सरकार ऐसी दुर्घटनाओं की स्थिति में किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने पर विचार कर रही है। अधिकारियों को इस संबंध में बैठक आयोजित कर मामले पर चर्चा करने तथा प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। कर्नाटक सरकार ने अधिकारियों को रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया है। इसके लिए निजलिंगप्पा शुगर इंस्टीट्यूट के माध्यम से 50 लाख रुपये का आरक्षित कोष रखने का निर्णय लिया गया है। मुआवजे के लिए मानदंड निर्धारित करके मुआवजा कैसे प्रदान किया जा सकता है? इस पर विचारों का आदान-प्रदान करने का भी सुझाव दिया गया है। इसके लिए जिला कलेक्टर और निजीलिंगप्पा शुगर इंस्टीट्यूट के निदेशक के बीच एक बैठक आयोजित की जाएगी। इसके बाद ही इस पर कोई प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि राज्य में गन्ना रकबा बड़ा होने के बावजूद इस कोष के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये ही आरक्षित किए गए हैं।