केन्या: चीनी मिलें बंद होने से किसानों और श्रमिकों की राह होगी मुश्किल

नैरोबी : चीनी मिलों द्वारा उत्पादन के अस्थायी निलंबन के बाद न्यान्ज़ा और पश्चिमी केन्या चीनी बेल्ट में किसानों और श्रमिकों की आगे की राह मुश्किल रहने की संभावना है।

कृषि और खाद्य प्राधिकरण (एएफए) द्वारा गन्ने की परिपक्वता के लिए देश में चीनी उत्पादन को चार महीने से अधिक समय तक निलंबित करने का निर्णय लिया गया है।

13 जुलाई को किसुमू में आयोजित बैठक के बाद एएफए ने लाइसेंस प्राप्त मिलर्स को परिचालन फिर से शुरू करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया है।राय परिवार द्वारा संचालित पश्चिमी केन्या और ओलेपिटो मिलों ने पेराई बंद कर दी है, जबकि पड़ोसी बुटाली चीनी मिलें अनिश्चित काल के लिए परिचालन बंद कर देंगी। बुटाली के प्रबंध निदेशक संजय पटेल ने कहा कि, इस अवधि के दौरान वे मिलों का रखरखाव करेंगे।उन्होंने एक बयान में कहा, हम इस अवसर पर अपने वफादार किसानों को उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं और निकट भविष्य में परिचालन फिर से शुरू करने की आशा करते हैं।

पश्चिमी केन्या में चीनी मिलों में काम करनेवाले कर्मचारियों को 31 जुलाई तक सवैतनिक वार्षिक अवकाश लेना पड़ सकता है। कंपनी के प्रबंध निदेशक सोहन शर्मा ने कहा, कंपनी इस अवधि का उपयोग मरम्मत प्रक्रिया शुरू करने के लिए करेगी, जिसके बाद आपको आगे की राह के बारे में सलाह दी जाएगी।उन्होंने वादा किया कि, कंपनी सभी कर्मचारियों के साथ अच्छा व्यवहार करेगी।

केन्या यूनियन ऑफ शुगरकेन प्लांटेशन एंड अलाइड वर्कर्स के महासचिव फ्रांसिस वांगारा ने सरकार से मिल मालिकों को देश में आवश्यक 185,000 टन में से कुछ आयात करने के लिए लाइसेंस देने पर विचार करने का आह्वान किया है।उन्होंने कहा, इसमें से 16 लाइसेंस प्राप्त मिलर्स को 50 प्रतिशत से अधिक का रिजर्व दिया जाना चाहिए।वांगारा ने बताया कि, इस कदम से मिल मालिकों को अपने कार्यबल को बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने मिल मालिकों से श्रमिकों की छंटनी न करने का भी आग्रह किया।

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