आबकारी मंत्री एम.बी. राजेश ने सोमवार (3 मार्च, 2025) को विधानसभा में बताया कि एक अनुमान के अनुसार, पेट्रोल मिश्रण और औद्योगिक उपयोग के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से एथेनॉल के आयात के कारण केरल को सालाना 100 करोड़ रुपये से अधिक का माल और सेवा कर (जीएसटी) राजस्व का नुकसान हो रहा है।
सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में एथेनॉल का उत्पादन करके राजस्व के इस प्रवाह को रोका जा सकता है। प्रश्नकाल में मंत्री और विपक्षी विधायकों के बीच पलक्कड़ जिले में स्पिरिट की एक बड़ी कंपनी को विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की अनुमति देने के सरकार के फैसले पर बहस शुरू हो गई।
राजेश ने कहा कि चार प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियों ने 2024 में केरल को 30.26 करोड़ लीटर एथेनॉल आयात किया। इसके अलावा, औद्योगिक एथेनॉल भी आयात किया जा रहा है, जिसके आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं। मानव उपभोग के लिए अलकोहल या स्प्रिट पर कोई जीएसटी नहीं है, लेकिन पेट्रोल मिश्रण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एथेनॉल पर 5% जीएसटी है।
2024 में लिकर बनाने के लिए 9.21 करोड़ लीटर स्प्रिट (एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल) का आयात किया गया। इसमें से 2.68 करोड़ लीटर महाराष्ट्र स्थित कंपनियों से आया, जबकि कर्नाटक स्थित कंपनियां दूसरे स्थान पर रहीं। एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि इनमें से कुछ कंपनियां इन राज्यों के मंत्रियों और विधायकों द्वारा चलाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा की सरकार का उद्देश्य रोजगार सृजन, निवेश लाना और राज्य का राजस्व बढ़ाना है। विपक्ष इस बात पर इतना क्यों आतुर है कि हमें दूसरे राज्यों से स्पिरिटआयात करनी चाहिए? हमारी नीति यह है कि राज्य को राजस्व में इस तरह का नुकसान न उठाना पड़े।