केरल: वल्लीकोड में गन्ने की खेती के सुनहरे दिन लौट आए

पथनमथिट्टा : वल्लीकोड के लोग गन्ने की खेती और गुड़ उत्पादन के सुनहरे दिनों को फिर से महसूस कर रहे है। इलाके में फिर एक बार गन्ना खेती का रकबा बढ़ रहा है, और वे अब अपने ओणम विशेष ‘वल्लिकोड गुड़’ के साथ बाजार में आ गए है। इस त्योहारी सीज़न में, ग्रामीण पहले ही 5,000 किलोग्राम से अधिक ‘पथियान गुड़’ बेच चुके हैं, और अन्य 1,000 किलोग्राम बिक्री के लिए तैयार किया जा रहा है।

कृषि अधिकारी रंजीत कुमार एस ने कहा, वल्लीकोड गुड़ की भारी मांग अब अधिक पारंपरिक किसानों और ग्रामीणों को गन्ने की खेती की ओर आकर्षित कर रही है।लगभग 25 साल पहले, वल्लीकोड में अचनकोविल नदी के तट पर गन्ने के खेत एक आम दृश्य थे।गन्ने की खेती ग्रामीणों के राजस्व का मुख्य स्रोत थी। उस समय वल्लीकोड गुड़ की मांग बहुत अधिक हुआ करती थी। हालांकि, बाद के वर्षों में कीमतों में गिरावट के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ, जिससे उन्हें रबर की खेती पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

इस बार, 15 से अधिक ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत और कृषि भवन के वित्तीय सहयोग से 15 एकड़ से अधिक क्षेत्र में खेती की।अब, कई और ग्रामीण ऊंची कीमत और भारी मांग को देखते हुए गन्ने की खेती फिर से शुरू करने की योजना बना रहे है।स्थानीय किसानों का कहना है की, 2018 से, हमारे क्षेत्र में मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ आ रही है। इससे केले की खेती करने वालों को भारी नुकसान हुआ है।हालाँकि, गन्ने की फसल बाढ़ का सामना कर सकती है और इस प्रकार, किसानों को नुकसान होने से बचाती है।किसान बताते है की, पहले, हमारे गाँव में 14 गुड़ प्रसंस्करण इकाइयाँ थीं, और प्रत्येक प्रसंस्करण इकाई 2 किमी दूर थी। वह वास्तव में हमारे गाँव में गन्ने की खेती और गुड़ उत्पादन का सुनहरा समय था। शुद्धता और अनूठी मिठास हमारे गुड़ को अलग दिखने में मदद करती है। इसके अलावा, इसका रंग आकर्षक सुनहरा भूरा है। इसे आकर्षक रंग देने के लिए किसी हानिकारक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है।

गाँव के गन्ना किसानों ने गन्ने की खेती के लिए ‘वल्लिकोड करिम्बु उल्पदाका सहाराकरण संघम’ की स्थापना की है। वल्लीकोड गुड़ की बढ़ती मांग के साथ, ग्रामीण इस बार लगभग 30 एकड़ में गन्ने की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं। वर्तमान में ग्रामीण एक किसान द्वारा संचालित प्रसंस्करण इकाई में गुड़ बना रहे हैं। ग्रामीण कृषि भवन और पंचायत की सहायता से अधिक प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।

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