नई दिल्ली : भारत में खरीफ फसल की बुआई में लगातार सुधार हो रहा है। किसानों ने अब तक 1,092.33 लाख हेक्टेयर में फसल लगाई है, जबकि पिछले साल 1,069.29 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। कृषि मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सालाना आधार पर बुआई में करीब 2.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिंसों के लिहाज से धान, दलहन, तिलहन, बाजरा और गन्ने की बुआई साल-दर-साल अधिक रही है। वहीं दूसरी ओर कपास और जूट/मेस्ता की बुआई कम रही है।
आंकड़ों से पता चला है कि, दलहन की टोकरी में उड़द, अरहर, मूंग, कुलथी और मोठ को छोड़कर बाकी सभी दलहनों में सकारात्मक रुख है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में कहा कि, केंद्र सरकार सभी राज्यों में उड़द, अरहर और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने का आह्वान किया ताकि अधिक से अधिक किसान दाल की खेती के लिए आगे आएं। भारत दालों का एक बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है, और यह अपनी खपत की जरूरतों का एक हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है। भारत मुख्य रूप से चना, मसूर, उड़द, काबुली चना और अरहर दाल का उपभोग करता है। सरकार दालों की खेती पर बहुत जोर दे रही है।
भारत में तीन फसल मौसम हैं – ग्रीष्म, खरीफ और रबी। जून-जुलाई के दौरान बोई जाने वाली और मानसून की बारिश पर निर्भर फसलें अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती हैं, खरीफ कहलाती हैं। अक्टूबर और नवंबर के दौरान बोई जाने वाली और परिपक्वता के आधार पर जनवरी से काटी जाने वाली फसलें रबी कहलाती हैं। रबी और खरीफ के बीच उत्पादित फसलें ग्रीष्मकालीन फसलें हैं।
पारंपरिक रूप से, भारतीय कृषि (विशेष रूप से खरीफ क्षेत्र/उत्पादन) मानसून की वर्षा की प्रगति पर बहुत अधिक निर्भर है। आईएमडी ने अपने पहले दीर्घावधि पूर्वानुमान में कहा है कि, इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर) सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है। निजी पूर्वानुमानकर्ता स्काईमेट ने भी इस साल सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है। आईएमडी ने हाल ही में कहा कि, सितंबर 2024 के दौरान पूरे देश में औसत बारिश सामान्य से अधिक (दीर्घावधि औसत का 109 प्रतिशत) रहने की संभावना है।