संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) गन्ना समेत अन्य मुद्दे को लेकर सितंबर में हरियाणा में राष्ट्रीय स्तर की किसान रैली आयोजित करेगा

बेंगलुरु: संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने चेतावनी दी है कि, एनडीए सरकार अपनी “किसान विरोधी नीतियों” में बदलाव नहीं करती है, तो हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। सितंबर में हरियाणा में राष्ट्रीय स्तर की किसान रैली आयोजित की जाएगी, जिसमें 20 से अधिक राज्यों के एक लाख से अधिक किसान भाग लेंगे और एनडीए सरकार पर किसानों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी कानून बनाने का दबाव बनाएंगे।

संगठन के नेताओं ने कहा कि, फरवरी में केंद्र सरकार के साथ चार दौर की वार्ता में उन्होंने दक्षिण भारतीय किसानों से संबंधित मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया, जैसे मसाला बोर्ड के लिए “मजबूत ढांचा” बनाना और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के “सी2+50 प्रतिशत” फॉर्मूले के अनुसार नारियल और गन्ना किसानों के लिए उचित मूल्य देना चाहिए। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि, एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर संगठन का विरोध 13 फरवरी से चार स्थानों पर चल रहा है और तब से हजारों किसान सड़कों पर डेरा डाले हुए हैं।

उन्होंने कहा, यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती।उन्होंने दावा किया कि, किसान समुदाय में गुस्से के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में हाल ही में हुए चुनावों में भाजपा ने 71 लोकसभा सीटें खो दीं है। यदि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपनी “किसान विरोधी नीतियों” में बदलाव नहीं करती है, तो पार्टी को हरियाणा और महाराष्ट्र सहित सभी आगामी विधानसभा चुनावों में किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। किसान संगठन के एक नेता कर्नाटक के कुर्बुरू शांताकुमार ने कहा कि, 8 जुलाई को एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा भाजपा के 240 सांसदों को छोड़कर सभी सांसदों को अपनी 12 मांगों के संबंध में ज्ञापन देंगे। उन्होंने कहा कि जुलाई में दोनों संगठन दिल्ली में एक बड़ा किसान सम्मेलन भी आयोजित करेंगे।

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