नई दिल्ली : इस समय भारत के चीनी उद्योग के लिए सबसे बड़ी चिंता केंद्र सरकार दवारा निर्यात को सिमित करना है। चीनी निर्यात को सिमित करने के विषय पर ISMA ने अपना विचार व्यक्त किया।
द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने कहा कि, इस तरह की नीति न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय चीनी उद्योग की निर्यात व्यवस्था को ब्रेक लगा सकती है, बल्कि चीनी कंपनियों की अंतहीन मुकदमेबाजी और ब्लैकलिस्टिंग भी कर सकती है। झुनझुनवाला कहते हैं कि, देश के चीनी उद्योग के लिए इस सीजन में उत्पादन और चीनी की कीमत दोनों सबसे अच्छे साबित हुए है, लेकिन निर्यात नीतियों के मामले में अनिश्चितता से उद्योग चिंतित है।
2021-22 का सीजन भारत के चीनी उद्योग के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ मौसम में से एक है। देश ने 360 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है और सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने से पहले 100 लाख टन चीनी का निर्यात करने की राह पर था। निर्यात की इच्छुक मिलों को अब अपनी खेप भेजने से पहले सरकार से अनुमति की आवश्यकता होगी। झुनझुनवाला ने कहा कि, सरकार द्वारा कैपिंग लगाने से पहले मिलों ने अनुबंधों को अपलोड कर दिया था। कैपिंग का फैसला लॉजिस्टिक्स के अलावा, यह फैसला अनुबंधों के उल्लंघन के लिए मिलों पर कार्रवाई को भी आमंत्रित कर सकता है और चीनी मिलों को ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा हमारे पास एक स्थिर नीति होनी चाहिए जो हमारी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति को स्थायी बनाए रखने की अनुमति देगी। झुनझुनवाला ने कहा, मौजूदा सीजन के लिए निर्यात को सीमित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि 2022-23 सीजन की शुरुआत में पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होगा।