कोल्हापुर: जिला कलेक्टर राहुल रेखावर ने इस साल जुलाई में आई बाढ़ से क्षतिग्रस्त गन्ने की फसल की समस्या का समाधान निकालने के लिए गुरुवार को बैठक बुलायी है। जिले में बाढ़ के कारण 60,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली करोड़ों रुपये की फसल को नुकसान पहुंचा है। 33 प्रतिशत या उससे अधिक की क्षति वाला गन्ना प्रभावित फसल माना जाता है। बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए गन्ने की कीमत लगभग 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है। ऐसी क्षतिग्रस्त फसल से चीनी की रिकवरी दर आमतौर पर कम होती है और इसलिए मिलें उन्हें लेने से हिचकिचाती हैं। जिले के कुछ ही मिल मालिकों ने आश्वासन दिया है कि, वे पहले क्षतिग्रस्त गन्ने का इस्तेमाल करेंगे ताकि बाढ़ प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द कुछ पैसा मिल सके।
हातकणंगले के सांसद धैर्यशील माने के साथ कई किसानों ने मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर मामला उठाया। सांसद माने ने कहा, मिलें आमतौर पर ऐसी क्षतिग्रस्त फसल के पेराई से बचती हैं क्योंकि यह उनके समग्र रिकवरी प्रदर्शन को प्रभावित करती है। साथ ही, गन्ना मजदूर किसानों से फसल काटने और मिलों तक पहुंचाने के लिए अधिक राशि की मांग करते हैं। हमने कलेक्टर के साथ इस मुद्दे को उठाया है और वह गुरुवार को मिलों, जनप्रतिनिधियों और किसान संगठनों के सभी हितधारकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने के लिए सहमत हुए हैं। किसानों ने मांग की है कि मिलों को क्षतिग्रस्त गन्ने को काटने की योजना बनानी चाहिए।
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